देश में कल 1942 में हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की वर्षगांठ मनाई गयी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को सम्बोधित करते हुए स्वतंत्र की लड़ाई में शामिल हुए वीरों को याद किया। मोदी ने लाल बहादुर शाष्त्री, भगत सिंह, राजगुरु आदि सेनानियों को याद किया। मोदी ने यह भाषण लोक सभा में दिया था और कहा था कि आज का दिन गौरव का दिन है।
मोदी ने कहा कि, ‘उस समय महापुरुषों के बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। जब इस आंदोलन के 25 साल और 50 साल हुए थे तब भी इसका महत्व था लेकिन 75 साल पूरे होना बड़ी बात है। देश के इतिहास में 9 अगस्त की बड़ी भूमिका थी, अंग्रेजों ने इसकी कल्पना नहीं की थी। उस दौरान महात्मा गांधी और बड़े नेता जेल गए थे, तब नए नेताओं ने जन्म लिया था। जिनमें लाल बहादुर शास्त्री, राममनोहर लोहिया जैसे नेता शामिल थे।’
मोदी ने आगे कहा कि, ‘1857 से 1947 तक आजादी के आंदोलन के अलग-अलग पड़ाव आए, देश के सभी लोगों को ये घटनाएं याद हैं। इस आंदोलन ने आजादी का रास्ता तैयार किया था। 1857 का संग्राम देश के हर कोने में लड़ा गया, उसके बाद महात्मा गांधी का भारत लौटना, उनका डांडी मार्च करना, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसमें अहम योगदान दिया था। इस आंदोलन से लोगों को लगने लगा था कि अब नहीं तो कभी नहीं होगा। पहले कभी लगता था कि आंदोलन सिर्फ कुछ लोगों के द्वारा ही चल रहा है लेकिन 1942 के आंदोलन में सभी का साथ मिला। इस आंदोलन में नारा था कि भारत छोड़ो, इस दौरान महात्मा गांधी का ‘करेंगे या मरेंगे’ कहना बड़ी बात है। उस दौरान गांधी ने कहा कि मैं स्वतंत्रता से कम पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं। हम या तो करेंगे या मरेंगे।’