चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत व चीन के बीच हुए डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने तय किया था कि वे इस क्षेत्र में कोई गतिविधि या निर्माण नहीं करेंगे।
हाल ही में चीन की तरफ से डोकलाम विवाद के बाद एक खुफिया जानकारी सामने आई है। जानकारी के अनुसार चीन गुपचुप तरीके से विवादित इलाके में सड़कों का निर्माण कर रहा है। उत्तरी डोकलाम क्षेत्र में चीनी सेना डटी हुई है।
इसके अलावा चीनी सेना के लिए वहां पर स्थाई कॉलोनी के निर्माण की जानकारी सामने आ रही है। उत्तर डोकलाम में चीन अपने आधारभूत ढ़ांचे को मजबूती प्रदान कर रहा है। इसके अलावा भूटान की आपत्ति के बावजूद भी डोकलाम के इलाके में चीनी सेना की पेट्रोलिंग जारी है।
भूटान पर मनोवैज्ञानिक तरीके से दबाव बनाकर भारतीय सेना को हटाने को उसे कहा जा रहा है। चीनी सेना ने अपने जवानों को बर्फीले तूफानों से बचाने के लिए कई स्थाई टैंट भी बनाए है।
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन डोकलाम के उत्तरी भाग में अपने आधारभूत ढ़ाचे को विकसित करने में लगा हुआ है। अभी भी चीनी सैनिक इन इलाकों में डटे हुए है। इनके रहने के लिए स्थायी निर्माण भी करवाए जा रहे है।
चीन सामरिक महत्व के लिए डोकलाम में करीब 16 पक्के इमारतें बना रहा है। इसके अलावा अपने सैन्य सामानों के लिए 6 अत्याधुनिक टनल भी बनाए है।
चीनी सैनिकों ने पूरी सर्दियां डेरा डाले रखने का इंतजाम कर लिया है। इसके अलावा चीन सीक्रेट हेलीबेस का भी निर्माण कर रहा है ताकि ऊंची दीवारों को छिपाया जा सके।
भारतीय सेना ने भी शुरू की तैयारी
लंबे समय तक चीन के साथ हुए डोकलाम विवाद के बाद अब भारत ने सैन्य गतिविधियों को मजबूती प्रदान करना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना ने डोकलाम विवाद के मद्देनजर भारत-चीन सीमा के पास सड़क ढांचे को बढ़ाने का निर्णय किया है।
सड़क ढ़ाचे सहित अन्य कामों में तेजी लाने के लिए सैन्य दलों ने काम शुरू कर दिया है। सड़क ढांचे को पूरा करने का काम कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स को सौंपा गया है ताकि जल्दी से ये काम पूरा हो जाए।
जानकारी के अनुसार कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स (सीओई) ने पहले से ही भारत-चीन सीमा के पास कई पहाड़ों की कटौती और सड़क बिछाने की मशीनों और उपकरणों के नवीनतम संस्करणों के आदेश देने सहित सैनिकों की तेज गति के लिए कई आवश्यक कदम उठाए है।
भारतीय सेना के द्वारा 40,000 करोड़ रुपये की लागत से बड़ी संख्या में लाइट मशीन गन और राइफल्स को खरीदे जा रहे है। इसके अलावा पैदल चलने वाली सेना का भी आधुनिकीकरण किया जाएगा।