भारत और चीन के सम्बन्ध डोकलाम विवाद के बाद वापस पटरी पर आ रहे हैं। चीन ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ हमारे सम्बन्धी धवनी की गति से भी तेज़ी से मज़बूत होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक सहयोग काफी तेज़ी से बढ़ रहा है और विश्व शांति में द्विपक्षीय समझौते योगदान देंगे।
वुहान यात्रा ने दिखाई दिशा
चीन विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसका श्रेय भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गत वर्ष वुहान में आयोजित अनौपचारिक बैठक को जाता है, इस मुलाकात ने द्विपक्षीय समझौते की जरूरतों को दिशा दिखाई थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा कि व्यवहारिक सहयोग के आलावा चीन भारत के साथ वैश्विक शांति और विकास में योगदान देने के इच्छुक है।
भारतीय केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी
गुरूवार को भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जब समस्त विश्व अनिश्चिताओं से घिरा हुआ था, तब भारत और चीन के सम्बन्ध स्थिर थे। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के मध्य विवादों के बावजूद अंतर नहीं दिखा। दोनों देशों ने द्विपक्षीय वार्ता जारी रखी ताकि सभी क्षेत्रों में संयुक्त और फायदेमंद सहयोग किया जा सके।
राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि “पीएम मोदी और शी जिनपिंग की सफल वुहान मुलाकात ने दिशा दिखाई और द्विपक्षीय समझौते के लिए संभावनाओं में विस्तार किया था। आप एख सकते हैं कि दोनों नेताओं की छत्रछाया में संबंधों ने ध्वनि की गति से विस्तार किया है, सभी व्यवहारिक क्षेत्रों में बातचीत हुई है और कई उच्च स्तर के आदान-प्रदान भी हुए हैं।
भारत के साथ कार्य करने को इच्छुक चीन
लु कांग ने कहा कि अभी विश्व अनिश्चिताओं और अस्थिर कारकों को झेल रहा है, लेकिन इस समय चीन भारत के साथ समन्वय का विस्तार करने, अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर बातचीत, वैध अधिकार पर संयुक्त बातचीत और दोनों देशों के हितों व विकाशशील देशों के बाबत बातचीत करने के इच्छुक है।
उन्होंने कहा कि बीते कुछ महीनों में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने समझौते पर सकारात्मक रुख दिखाया है। राज्यसभा में विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने संयुक्त फायदे की करीबी विकाशशील साझेदारी को मज़बूत करने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सभी मतभेदों को बातचीत के जरिये सुलझा लिया जायेगा।