भारत और चीन 22 अक्टूबर को अपने पहले रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते का केंद्र आतंकवाद, मानव तस्करी, नशीले पदार्थ, सूचना का आदान-प्रदान और आपदा प्रबंधन होगा। इस पैक्ट पर हस्ताक्षर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी सुरक्षा मंत्री ज़हयो केज़ही ने किये।
आधिकारिक सूचना के मुताबिक सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी चीनी मंत्री से मुलाकात कर पैक्ट के बाबत बातचीत की। उन्होंने बताया कि जैश ए मोहम्मद का सरंगना मसूद अजहर पर भी इस पैक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। चीन ने दो बार यूएन में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने में वीटो करके अड़ंगा डाला है।
भारत सरकार को उम्मीद है कि इस समझौते के तहत वह मसूद अजहर की जानकारी प्राप्त करने में सफल होंगे। भारत सरकार चीन के अरुणाचल प्रदेश और जम्मू के वीजा रोकने पर भी बात करेगी।
आधिकारिक सूचना के मुताबिक राजनाथ सिंह के साल 2015 में बीजिंग दौरे के बाद से ही इस समझौते पर कार्य किया जा रहा है। हालांकि चीन ने अम्ब्रेला समझौते पर हस्ताक्षर कर भारतीय प्रस्ताव को किनारे कर दिया था।
हाल ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति से अनौपचारिक मुलाकात के लिए वुहान शहर गए थे। इस मुलकात के दौरान दोनो नेताओं ने रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत की थी। चीन के राष्ट्रपति ने रक्षा समझौते पर मंज़ूरी दी थी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा पैक्ट भारत चीन सीमा विवाद पर लागू नहीं होगा।
सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस समझौते के जरिये तस्करी, घुसपैठ, आतंकवाद, नशीले पदार्थों पर लगाम लगाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के पीओके के गुज़रना, इस सुरक्षा समझौते में शामिल नहीं है। बीआरआई के संबंध में चीनी प्रतिनिधियों ने 28 अगस्त को भारतीय अधिकारियों से बातचीत की थी।
इस पैक्ट में दोनो राष्ट्र इस्लामिक संगठन के अन्य देशों के विस्तार पर निगरानी रखेंगे। चीन के उइगर मुस्लिम इराक और सीरिया जैसे देशों की ओर जा रहे हैं।
भारत को उम्मीद है कि इस रक्षा समझौते के बाद चीन के साथ अन्य क्षेत्रों में भी समझौते किये जायेंगे।