भूटान के साथ चीन अपने कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करने की फिराक में है। चीन के भूटान के साथ माजूदा कोई कूटनीतिक सम्बन्ध नहीं है। भारत में नियुक्त चीनी राजदूत लुओ ज्होहुई ने मंगलवार से भूटान की यात्रा शुरू की है। चीन की अपनी विदेश नीति के तहत भूटान तक पंहुच भारत के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है। भूटान की नई सरकार बीजिंग में उनके मुल्क की अर्थव्यवस्था को संवारने वाले की क्षमता देख रही है।
चीनी राजदूत के साथ संस्कृतिक प्रतिनिधि मंडल बभी गया है, जो चीन के स्प्रिंग फेस्टिवल के दौरान कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा। भूटान के नई सरकार के प्रमुख द्रुक न्यामरूप त्शोग्पा पार्टी के प्रधानमन्त्री लोटाय त्शेरिंग हैं, जो भारत पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं। सत्ताधारी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि भारत का भूटान के साथ कारोबारी शेयर, भूटान के कुल व्यापार का 80 फीसदी है।
घिश्ना पत्र के मुताबिक “हम अपनी अर्थव्यवस्था में हाइड्रोपावर सेक्टर की भूमिका के बाबत अवगत है। यह जलवायु के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र है और संभवतः भविष्य में भू-जलवायु के खतरों पर विचार करें। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को एक ही दिशा में टिकाये रखना बुद्धिमानी नहीं होगी। हाइड्रोपावर प्लांट देश के युवाओं को सीमित रोजगार के अवसर ही मुहैया कर रहा है।”
बीती जुलाई में चीन के उप विदेश मंत्री कोंग क्सुँन्यो ने भी भूटान की यात्रा की थी। पर्वतीय देश में सदन के भंग होने के बाद चीन ने रोजगार के अपार अवसर मुहैया करने को कहा था। चीनी उपविदेश मंत्री ने भूटान के नेताओं से मुलाकात की और भूटान के नेताओं को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। भारत के एकमात्र पड़ोसी मुल्क भारत ने बीआरआई परियोजना की मुखालफत की थी।
लोटाय त्शेरिंग गुरूवार को अपनी पहली अधिकारिक विदेश यात्रा पर भारत आये थे। बीते माह भूटान में प्रधानमन्त्री त्शेरिंग की पार्टी को भारी मतों से जीत मिली थी। दिन की शुरुआत में लोटाय त्शेरिंग का राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत हुआ था। भूटानी प्रधानमंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात की थी।
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 12 वें पंचवर्षीय कार्यक्रम के लिए भूटान को 4500 करोड़ की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भूटान के साथ हाइड्रोपावर सहयोग द्विपक्षीय समझौतों का महत्वपूर्ण भाग है और मंग्देच्छु परियोजना का कार्य जल्द ही समाप्त हो जायेगा।