नासा की हालिया रिपोर्ट में बताया है कि भारत और चीन जमीन को हरा-भरा बनाने का प्रतिनिधित्व भारत और चीन करेंगे। नासा की सॅटॅलाइट से जारी आंकड़ों के मुताबिक विश्व इस वक्त उतना ही हरा-भरा है, जितना 20 साल पहले था।नासा से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत और चीन वृक्षारोपण के मामले में सबसे अग्रणी है।
इस रिपोर्ट के सह लेखक ची चेन ने कहा कि भारत और चीन के खाते में विश्व की दो-तिहाई हरियाली है लेकिन ग्रह के केवल नौ प्रतिशत हिस्से को ही कवर करता हैं। दोनों राष्ट्र अधिक जनसँख्या वाले देश है और आम अवधारणा के तहत यह तथ्य हैरान करने वाले हैं।
इस अध्ययन के मुताबिक नयी दिल्ली और बीजिंग की महत्वकांक्षी वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है। नासा के वैज्ञानिक रमा नेमानी ने कहा कि इसको मानव योगदान आगे ले जा रहा है।
चीन भूक्षरण, वायु प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन के स्तर को कम करने के लक्ष्य से वनों का विस्तार करने और उन्हें बचाये की प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
नासा के सह लेखक रमा नेमानी ने कहा, ‘‘जब पृथ्वी पर वनीकरण पहली बार देखा, तो लगा कि ऐसा गर्म एवं नमी युक्त जलवायु और वायुमंडल में मात्रा से अधिक कार्बन डाईऑक्साइड की वजह से हुआ है।” इस रिकॉर्ड की मदद से हम देख सकते हैं कि प्रकृति को बनाये रखने में मानवीय योगदान काफी है।’’
भारत और चीन में 1970 और 1980 के दशक में पेड़-पौधों की स्थिति सही नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘1990 के दशक में लोगों को इसका एहसास हुआ और अब काफी हद तक सुधार हुआ है।’’ भारत ने जलवायु परिवर्तन के लिए काफी सुधार कार्यक्रमों का आयोजन किया है। भारत ने नयी दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे इलाकों में भारी वृक्षारोपण किया है।
भारत में विश्व बड़े ऊर्जा फार्म है, जेसलमेर विंड पार्क और मुप्पंडल विंड फार्म है। भारत और चीन जैसे उभरते हुए देश जलवायु परिवर्तन पर गंभीरता से विचार कर रहे है और जिम्मेदारी ले रहे हैं।