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    सीमा पर तनाव के चलते द्विपक्षीय रिश्तों में खटास के बावजूद भारत-चीन के आपसी कारोबार में तेज उछाल आया है। चीन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही (जनवरी-जून, 2021) में द्विपक्षीय कारोबार पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले 62.7 फीसद बढ़कर 57.48 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

    हाल के वर्षो का यह सर्वाधिक छमाही आंकड़ा है। हालांकि इस दौरान पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले चीन को भारत का निर्यात 69.6 फीसद बढ़ा। लेकिन भारत की चिंता का मुख्य विषय कारोबारी घाटा (निर्यात के मुकाबले आयात अधिक होना) है, जो समीक्षाधीन अवधि में 55.6 फीसद पर पहुंच गया है।

    सीमा शुल्क विभाग के आंकड़े के अनुसार भारत का चीन को निर्यात साल की पहले छह महीने में 69.6 प्रतिशत बढ़कर 14.724 अरब डॉलर रहा। वहीं चीन से भारत का आयात 60.4 प्रतिशत बढ़कर 42.755 अरब डॉलर रहा। चीन का कुल व्यापार इस साल के पहले छह माह में 27.1 प्रतिशत बढ़कर 18,070 अरब युआन (करीब 2,790 अरब डॉलर) रहा। इसमें निर्यात 28.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि आयात में 25.9 प्रतिशत का उछाल आया।

    आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आलोच्य अवधि में दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा 28.03 अरब डॉलर रहा जो सालाना आधार पर 55.6 प्रतिशत अधिक है। दोनों देशों के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के साथ व्यापार का यह आंकड़ा उल्लेखनीय है।

    कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के परिणामस्वरूप भारत को चीन के निर्यात में बड़ी वृद्धि हुई है। इसमें विशेष रूप से ऑक्सीजन कांसन्ट्रेटर, वेंटिलेटर, चिकित्सा सामग्री और दवाओं के निर्यात का योगदान रहा। जबकि चीन को भारत ने खास कर लौह अयस्क, स्टील, एल्यूमीनियम और तांब का निर्यात किया।

    भारत-चीन का यह कारोबार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले वर्ष मई से ही दोनों के बीच लद्दाख सीमा पर तनातनी चल रही है। यह भी दिलचस्प है कि कोरोना की दूसरी लहर में चीन का निर्यात खासा बढ़ गया। इसकी वजह यह थी कि उसने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर, ऑक्सीमीटर और मेडिकल उपकरणों का जमकर निर्यात किया।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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