विश्लेषकों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन (China) की भारी टुकड़ी के जमा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। बीजिंग की तिब्बत पर अपनी पकड़ मजबूत करने की इच्छा और सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत द्वारा बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास पर चीन काफी समय से असहज था, जिसके चलते लगभग 45 सालों में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई है।
मई के शुरू में LAC के सिक्किम और लद्दाख सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया था।
सोमवार रात को गाल्वन घाटी में “हिंसक हाथापाई” के दौरान भारत की ओर से एक कर्नल सहित 20 जवानों की मौत हो गयी थी। चीन की और से हताहत होने की संख्या 43 से ज्यादा बताई जा रही है।
जाहिर है 1962 के युद्ध के बाद चीन और भारत की सीमा पर ज्यादा टकराव देखने को नहीं मिला है। कुछ छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा इस इलाके में शान्ति रही है। अब हालाँकि चीन के आर्थिक महाशक्ति बनने के बाद चीन अपने कदम फैला रहा है। भारत के अलावा चीन का विवाद वियतनाम, मलेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से भी रहा है। दक्षिण चीन सागर में आये दिन चीन और अन्य देशों के बीच कहासुनी होती रहती है।
भारत की यदि बात करें तो विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में दो कारणों की वजह से चीन भारत से काफी नाखुश है।
पिछले साल जब भारतीय संसद ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाकर कश्मीर और लदाख को दो केंद्र शाषित प्रदेश में तब्दील कर दिया था, तब गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन भारत का हिस्सा है और इसके लिए हम जान भी दे सकते हैं। चीन को भारत का यह तीखा जवाब रास नहीं आया था।
इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सम्बन्ध है। जाहिर है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई मौकों पर चीन को घेरते दिखाई देते हैं और अक्सर भारत के समर्थन में बोलते दिखते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस साल के फरवरी महीनें में भारत का दौरा किया था और इसके बाद दोनों देश काफी करीब आ गए थे।
चीन को डर है कि अमेरिका की मदद से भारत दक्षिण एशिया में एक महाशक्ति बनकर उभर सकता है, जिससे चीन के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
भारतीय सीमा पर स्थिति मजबूत करने के लिए चीन ने दक्षिण तिब्बत में भारी मात्रा में निर्माण कार्य करना शुरू कर दिया है और सीमा से लगकर सड़कें और बंकर बनाने शुरू कर दिए हैं।
कल की घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से बात की और उन्हें घटना की जानकारी दी। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह और सेना के उच्च अधिकारीयों के साथ भी बैठक की।