अफगानिस्तान चाहबार बंदरगाह के माध्यम से पहले कार्गो जहाज में लोड पांच कंटेनर को भारतीय बंदरगाह में पंहुचाने के लिए तैयार है, यह कार्य एक माह के भीतर होगा। इंटरनेशनल रोड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत कार्गो में 22 टन की वजन की गुआर की फली का निर्यात होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी मंत्रालय ने अफगानी विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा कि “इस कार्गो का निर्यात पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अफगानिस्तान से भारत को होगा। “ईरानी प्रधानमन्त्री के दफ्तर बयान जारी का बताया कि भारत ने चाहबार में अधिकारिक शिपिंग लाइन की स्थापना कर दी है और 27 जनवरी को पहला जहाज रवाना होगा।”
ख़बरों के मुताबिक यह निर्णय लिया गया है कि तीन भारतीय बंदरगाहों, मुंबई, कांडला और मुंद्र से हर दो हफ्ते में निरंतर जहाज रवाना किये जायेंगे। शहीद बेहेश्ती चाहबार बंदरगाह से पहले 3700 टीईयू कंटेनर के रवाना होने के बाद, पहली बार मुंबई-मुंद्र-कांडला की बंदरगाहों की शिपिंग लाइन को खोला गया है।
एक माह पूर्व भारत ने अपने इलाके के आलावा किसी अन्य देश के बंदरगाह पर विअक्स अभियान शुरू करने के लिए लिया था। ईरान ने चाहबार बंदरगाह का विकास के लिए आधिकारिक नियंत्रण की कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को सौंप दिया था। कंपनी ने सोमवार को चाहबार पर अपना दफ्तर शुरू कर दिया और चाहबार में स्थित शाहीद बहेस्ती बंदरगाह का नियंत्रण भी ले लिया है। सालों की इस मशक्कत के बाद भारत इस बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस के भागों में पंहुच सकेगा।
ट्रम्प प्रशसन की तरफ से आज़ादी मिलने के बाद मोदी सरकार ने चाहबार बंदार के विकास कार्य को जारी रखा। जानकार व्यक्तियों ने कहा कि यह बंदरगाह यूरेशिया तक पहुँचने का द्वार है और इससे चारो तरफ से घिरे अफगानिस्तान तक पहुंचना भी आसान हो जायेगा।
भारत ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की फरवरी यात्रा के दौरान बंदरगाह को “शोर्ट टर्म लीज” समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, ताकि बंदरगाह के इस अभियान की शुरुआत की जा सके। नई दिल्ली ने चाहबार बंदरगाह के काम्प्लेक्स के लिए 50 करोड़ डॉलर की राशि देने का वादा किया था, इसके आलावा 23 करोड़ 50 लाख डॉलर बंदरगाह के विस्तार के लिए देने हैं।