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    शुक्रवार को भारत सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया की, भारत-ईरान में चाबहार बन्दरगाह के विषय में जो समझौता हुआ हैं, उसे समय रहते पूरा किया जाएगा। भारत सरकार को ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित चाबहार बन्दरगाह, अगले महीने में हस्तांतरित किया जा सकता हैं।

    ईरान पर अमेरिका द्वारा लगे गए आर्थिक प्रतिबंधोको को दरकिनार करते हुए चाबहार के विषय में हुयी प्रगति भारत की सदृढ़ एवं मजबूत विदेश नीति की दर्शक हैं। अमेरिकन सक्रेटरी ऑफ़ स्टेट माइक पोम्पइओ और रक्षा मंत्री जिम मैत्तीस और भारतीय समकक्ष के बीच हुई 2+2 वार्ता के बाद, ऐसे संकेत मिल रहे हैं की ईरान के विषय में अमेरिका, भारत को छुट दें।

    भारत के दौरे पर आए ईरान के ट्रांसपोर्ट मंत्री ने कहा, “चाबहार के विषय में पहले से तय योजना के अनुसार और तेजी से तरक्की हो रही हैं। और जहाँ तक चाबहार बन्दरगाह के भारत सरकार को हस्तांतरित किए जाने की बात हैं तो यह भी दोनों देशों के बीच किए गए समझौते के अनुसार किया जाएगा।”

    “अग्रीमेंट के अनुसार, हम(ईरान) अब चाबहार बन्दरगाह भारत को सोंपने के लिए तैयार हैं। हमने इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हमने भारत के लिए बैंकिंग चैनल भी मुहैय्या कराया हैं, जिसे भारत सरकार की ओर से स्वीकार कर लिया गया हैं।”

    भारत में जब अमेरिका के साथ 2+2 वार्ता हो रही हैं। उसी वक्त ईरानी ट्रांसपोर्ट मंत्री अब्बास अखौंदी ने भारतीय समकक्ष नितिन गडकरी के साथ द्वीपक्षीय वार्ता की। ईरानी ट्रांसपोर्ट मंत्री का भारतीय सरकार को आश्वस्त करनेवाला यह बयान इसी लिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि इसी साल जुलाई में ईरानी सरकार की ओर से चाबहार के विषय में भारतीय रुख पर नाराजगी जताई जा चुकीं हैं।

    भारत के दौरे पर आए हुए अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट और सेक्रेटरी ऑफ़ डिफेन्स के साथ हुई वार्ता के बाद भारतीय आधिकारियों के यह उम्मीद जताई हैं की, भारत और अमेरिका के बीच सदृढ़ हो रहे संबंधो के चलते, ईरान-भारत के विषय में उन्हें अमेरिका की ओर से विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा।

    भारतीय आधिकारियों की बात इसलिए भी अहमियत रखती हैं क्यों की, अमेरिका चाहता हैं की भारत कच्चे तेल के विषय में ईरान पर निर्भर रहना बंद करें और ईरानी कच्चे तेल आयात को पूरी तरह से बंद करें।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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