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    मूडीज, एस एंड पी, फिच की रेटिंग

    ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा 13 साल बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार के बाद बाजार सहभागियों के बीच उत्साह का नवीन संचार दिखने लगा था। इसी बीच एस एंड पी ने अपनी क्रेडिट रेंटिग बरकरार रखते हुए आगामी दो सालों में भारत के मजबूत जीडीपी ग्रोथ करने की बात कर थोड़ी सी राहत दिलाई थी।

    लेकिन ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.9 फीसदी नहीं बल्कि 6.7 फीसदी रहने की घोषणा करके मोदी सरकार की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया है। इस एजेंसी ने कहा कि, वित्तीय वर्ष जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही की 6.3 फीसदी जीडीपी ग्रोथ थोड़ा उत्साह पैदा करती है, बावजूद इसके भारत की विकास दर अपेक्षाकृत बहुत धीमी है।

    फिच के अनुसार हाल के तिमाहियों में भारत का विकास दर काफी निराशाजनक रहा है। अप्रैल-जून तिमाही में कमजोर जीडीपी को देखते हुए फिच ने साल 2019 में भी भारत की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी की तुलना में मात्र 7.3 फीसदी रहने की घोषणा है।
    दिलचस्प बात यह है कि एसएंडपी ने भी भार​त को लेकर की गई अपनी क्रेडिट रेटिंग में पुराने स्तर ट्रिपल बी माइनस को बरकार रखा, यही नहीं एस एंड पी ने कमजोर जीडीपी रेटिंग का हवाला दिया था।

    लेकिन इन तीन वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों मूडीज, एस एंड पी तथा फिच ने भारत के संरचनात्मक सुधारों की सराहना की है। इन तीनों एजेंसियों ने आगामी वर्षों में जीडीपी ग्रोथ रेट में बढ़ोतरी की बात की है। आईए हम उनकी एक समान टिप्पणीयों पर नजर डालें…

    पुनर्पूंजीकरण

    बैंकों का पुनर्पूंजीकरण

    अभी पिछले ही महीने मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की। मूडीज ने अपनी क्रेडिट रेटिंग में इस बात को स्वीकार किया कि बैंकिंग सिस्टम में गैर निष्पादित ऋण से निपटने के लिए सरकार ने बैंकों का पुनर्पूंजीकरण किया है, इससे एक कारोबारी माहौल बनेगा।

    एसएंडपी ने भी पुनर्पूंजीकरण को लेकर कुछ ऐसी ही सराहना की थी। ​एसएंडपी ने कहा कि उम्मीद है सरकारी बैंकों के नियोजित पुनर्पूंजीकरण द्वारा भारत के विकास दर को सहायता मिलेगी। फिच ने पुनर्पूंजीकरण को लेकर कहा है कि इससे ऋण संबंधी बैंकिंग सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

    जीएसटी-नोटबंदी

     

    जीएसटी और नोटबंदी

    जीएसटी और नोटबंदी को लेकर तीनो ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने ध्यान दिया है। इन एजेंसियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि जीएसटी और नोटबंदी के चलते ही जीडीपी ग्रोथ रेट पर अल्पकालिक असर पड़ा, जबकि आने वाली तिमाहियों में जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ती हुई दिखेगी।

    एस एंड पी के अनुसार जीएसटी से देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलना चाहिए। इस फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, घरेलू व्यापार की समस्याओं को दूर करने के लिए जीएसटी को लागू किया गया, इससे जीडीपी रेट में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

    मूडीज ने कहा था कि जीएसटी और विमुद्रीकरण ने थोड़े समय के लिए जीडीपी को कम किया है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ अवश्य देखने को मिलेगा। फिच का मानना है कि संरचनात्मक सुधारों को असर अगले दो सालों में जीडीपी बढ़ोतरी के रूप में देखने को अवश्य मिलेगा।

    भारतमाला [सड़क निर्माण] परियोजना

    भारतमाला [सड़क निर्माण] परियोजना

    सभी तीनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने मोदी सरकार की भारतमाला परियोजना का उल्लेख किया है। आप को बता दें कि भारतमाला परियोजना के तहत मार्च 2022 तक करीब 83,000 किलोमीटर से ज्यादा राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया जाना है, इसके लिए सरकार ने करीब 7 लाख करोड़ रूपए निवेश करने जा रही है।

    एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, सार्वजनिक क्षेत्र के बुनियादी ढांचे विशेष रूप से सड़क निर्माण में बड़े निवेश से आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। फिच ने कहा कि सरकार ने 5 साल के लिए करीब 7 लाख करोड़ रूपए [सकल घरेलू उत्पाद का 4.5 फीसदी] की एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण योजना का अनावरण किया है, यह योजना निवेश में बढ़ोतरी को प्रोत्साहित करेगी।

    मूडी ने लिखा है कि सरकार फिलहाल अपने ​अार्थिक तथा संस्थागत सुधारों पर जोर दे रही है, जिससे देश के कारोबारी माहौल, उत्पादकता तथा घरेलू और विदेशी विनिवेश को बढ़ावा मिलेगा। इन गति​विधियों से देश के सतत विकास को मजबूती मिलेगी।