भारत और कनाडा के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्ध पिछले नौ माह से जस के तस है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नौ माह पूर्व कनाडा के प्रधानमन्त्री जस्टिन ट्रुडो विवादित यात्रा के बाद रिश्तों में कोई सुधार नहीं आया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत और कनाडा के मध्य बीते नौ माह में कोई मंत्रीय स्तर की वार्ता का आयोजन नहीं हुआ है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक वर्ष और यह हालात नहीं बदलेंगे, आगामी वर्ष दोनों राष्ट्रों में चुनाव का आयोजन होना है। भारत में लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 और कनाडा में अक्टूबर 2019 में चुनाव संपन्न होंगे। भारतीय अधिकारी ने कहा कि द्विपक्षीय समबन्धों को वापस पटरी पर लाने की जिम्मेदारी अब नई सरकार के कांधों पर होगी।
इन नौ माह में सभी मंत्रीय स्तरीय बैठकों को रद्द कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के मंत्री सुरेश प्रभु को सितम्बर में कनाडा के दौरे पर जाना था। साथ ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को भी कनाडा की यात्रा करनी थी, लेकीन यह संभव न हो सका।
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके कनाडा के समकक्षी के मध्य काफी बार द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन किया गया था लेकिन किन्हीं कारणों से इन सभी आयोजनों को रद्द करन पड़ता था। कनाडा के पर्यावरण मंत्री के भारत दौरे को भी निरस्त कर दिया था
बीते फरवरी माह में कनाडा के मंत्री जस्टिन के भारत दौरे पर सरकार ने उनका कम गर्मजोशी से स्वागत किया था। नरेन्द्र मोदी ने बराक ओबामा, शिंजो आबे, शी जिनपिंग और बेंजामिन नेतान्याहू की तरह जस्टिन ट्रुडो को हवाई अड्डे पर रिसीव करने नहीं पंहुचे थे।
अटकलों के मुताबिक भारत सरकार ने जस्टिन ट्रुडो से दूरी रखने का निर्णय लिया था। जस्टिन ट्रुडो की सरकार में दो सिख समुदाय के मंत्री है, जो खालिस्तान आन्दोलन का समर्थन करते हैं। भारत यात्रा के बाबत पत्रकारों से बातचीत करते हुए जस्टिन ट्रुडो ने कहा था कि ‘इस साल के लिए बस। अब कुछ संभव नहीं होगा, कुछ नहीं होगा। मैं भारत गया ही नहीं था। मुझे भारत यात्रा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।