प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से पूर्व मोस्को ने बुधवार को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर चिंता व्यक्त की थी। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के सम्बन्ध में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।
रूस ने उम्मीद जताई कि दोनों देशो के बीच तनाव को कम किया जा रहा है। मिनिस्टर काउंसलर और मिशन के डिप्टी चीफ रोमन बबुश्किन ने कहा कि दोनों देशों को वार्ता करनी चाहिए और राजनीतिक कूटनीति के जरिये तनाव को कम करना चाहिए।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाबत उन्होंने कहा कि “भारत परमाणु हथियार को पहले इस्तेमाल की नीति पर दोबारा विचार करने की जरुरत है। दोनों देश गैर अधिकारिक परमाणु ताकते हैं और यह हमे स्थिति के प्रति अधिक चिंताजनक बना देता है। यह भारत का आंतरिक मामला है। हमें उम्मीद है कि यह तनाव राजनीतिक कूटनीति और वार्ता के जरिये सुलझ सकता है। हम वार्ता के लिए मंच मुहैया कर रहे हैं।”
कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने पर रुसी राजदूत निकोलाय कुदसेव ने कहा कि “यह स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है और यह एक संप्रभु मामला है। पाकिस्तान और भारत को इसे वार्ता से हल करना होगा। दोनों देशो के विवाद में रूस की कोई भूमिका नहीं है जब तक दोनों मह्द्यास्थ्ता के लिए नहीं कहते हैं। यूएन सुरक्षा परिषद् के गुप्त बैठक में हमें दोहराया कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है।”
भारत और पाक के बीच कश्मीर को लेकर तनाव काफी बढ़ गया है। रूस ने अपनी स्थिति को दोबारा स्पष्ट किया है कि “हालात घरेलू है और अब यह भारत सरकार पर है कि स्थिति में शान्ति कैसे लायी जा सकती है।”
मिशन के डिप्टी चीफ ने कहा कि “क्षेत्रीय मसले जटिल है। इससे सम्बंधित हमारे समक्ष कई अंतरराष्ट्रीय कानून है। हमें राजनीतिक-कूटनीतिक तरीको से इसे सुलझाना चाहिए। दक्षिणी चीनी सागर पर चीन और वियतनाम का दावा है। मुझे यकीन है कि आरआईसी की त्रिकोणीय मुलाकात अधिक सहयोग को सुनिश्चित करेगा।”