रोहिंग्या मुसलमानों के ऊपर म्यांमार में हुए हिंसक अत्याचार के बाद अब भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने बुधवार को म्यांमार में रोहिंग्या संकट पर वार्ता की। इसके अलावा हिंसाग्रस्त इलाके रखाइन प्रांत के दीर्घकालिक विकास के लिए भारत व म्यांमार के बीच एक एमओयू हुआ है। एस जयशंकर ने भारत के प्रतिनिधि की तरफ से इस पर हस्ताक्षर किए है।
रोहिंग्या शरणार्थी संकटों के बीच भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने म्यांमार सेना के चीफ मिन-आंग-हलांग के साथ सुरक्षा सहयोग को लेकर बैठक में शिरकत की।
म्यांमार में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच में म्यांमार के रखाइन प्रांत के विकास को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए है।
म्यांमार सेना प्रमुख के साथ मुलाकात के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर ने म्यांमार नेता आंग सान सू की के साथ भी वार्ता की। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार को लेकर चर्चा हुई।
रोहिंग्या की घर वापसी से पहले रखाइन प्रांत हो विकसित
विक्रम मिश्री के अनुसार दोनो देशों के बीच हुआ एमओयू एक दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक विकास पर आधारित है। इसके तहत भारत की तरफ से रखाइन प्रांत को विकसित करने में आर्थिक मदद की जाएगी। क्योंकि अगले महीने से रोहिंग्या की वापसी भी शुरू हो जाएगी। इसलिए रखाइन प्रांत का विकास करना जरूरी है।
भारत के विदेश सचिव का म्यांमार दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचारों पर भारत का कहना है कि इस मुद्दे को एक मानवीय तरीके से संभाला जाना चाहिए। भारत चाहता है कि हिंसाग्रस्त रखाइन प्रांत में विकास गतिविधियों की शुरूआत की जानी चाहिए।
इस प्रांत को वापस से पहले जैसा बनाने में भारत द्वारा मदद की जाएगी। साथ ही भारत की मांग है कि रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी के लिए उनके घरों व जगहों को पहले पूरी तरह से ठीक किया जाना चाहिए।
रोहिंग्या के लिए भारत ने भेजता है राहत सामग्री
गौरतलब है कि अगस्त में म्यांमार के रखाइन प्रांत मे हुए रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार के बाद लाखों की संख्या में लोग देश छोड़ने को मजबूर हुए है। रोहिंग्या बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर है। म्यांमार के पड़ोसी देश भारत में भी रोहिंग्या को शरण देने की मांग उठी थी लेकिन तब भारत ने सुरक्षा कारणों से शरण देने से इंकार कर दिया था।
हालांकि भारत की तरफ से रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद के लिए बांग्लादेश व म्यांमार के प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री भेजी गई है। रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में भारत से भी लोगों ने मदद की गुहार की थी। साथ ही भारत व म्यांमार सीमा के पास खुफिया जानकारी मिल रही है कि कई रोहिंग्या नागरिक भारत में अवैध तरीके से प्रवेश कर रहे है।
इस खबरों पर भारत सरकार ने चिंता जताई है। इन सब कारणों से भारत के विदेश सचिव का म्यांमार दौरा काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। गौरतलब है कि मंगलवार को ही म्यांमार व बांग्लादेश के बीच हुई बैठक में तय हुआ है कि जनवरी महीने से रोहिंग्या की घर वापसी शुरू हो जाएगी।