Thu. Dec 19th, 2024
    भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार

    भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का अभी भी बना हुआ है। दो माह पूर्व नई दिल्ली ने पाकिस्तान से विशेष तरजीह राष्ट्र का दर्जा छीन लिया था। गुरूवार को गृह मंत्रालय ने एलओसी यानी नियंत्रण रेखा से कारोबार पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। अधिकारीयों के मुताबिक सीमा पार आतंकी समूहों से जुड़े लोग इस सुविधा का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

    गृह मंत्रालय ने बयान में कहा कि “भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव के साथ जम्मू कश्मीर के सलेमाबाद और चक्कन दा बाघ से व्यापार पर पाबन्दी लगाने का निर्णय लिया है। सख्त नियामक और प्रवर्तन युक्तियों पर कार्य किया जा रहा है और हम विभिन्न एजेंसियो से इसपर चर्चा करेंगे। एलओसी व्यापार को खोलने का मसला इसके बाद तय किया जायेगा।”

    अधिकारीयों के मुताबिक, प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से से जुड़े व्यक्ति एलओसी व्यापार को संचालित करते हैं। जांच में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान गए कई लोगो ने चरमपंथी संगठनों को ज्वाइन किया और पाकिस्तान में अपनी कंपनी को खोला। यह कारोबारी कंपनियां चरमपंथी संगठनों के नियंत्रण में हैं और एलओसी व्यापार से जुड़े हुए हैं।

    गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि “सरकार को रिपोर्ट्स मिली है कि पाकिस्तानी तत्व व्यापार मार्ग का इस्तेमाल अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग और जाली नोटों की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।” एलओसी व्यापार के नियंत्रक फरीद कोहली ने बताया कि “शुक्रवार को 35 फलो के ट्रक पूँछ से पीओके की तरफ गए थे। गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक कल इन ट्रको को एलओसी पार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

    जम्मू कश्मीर के मुख्य दलों ने इस निर्णय को प्रतिगामी और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था। भारत और पाकिस्तान ने साल 2008 में एलओसी पार व्यापार की शुरुआत की थी और तब से यह व्यापार मार्च 2018 तक 5000 करोड़ के आंकड़े को छू चुका है। लाल मिर्च, जीरा, इमली, केले, आम, सूखे खजूर और ड्राई फ्रूट का आदान -प्रदान जम्मू कश्मीर और पीओके के बीच होता है। शुरुआत में जम्मू कश्मीर के 646 व्यापारी पंजीकृत थे लेकिन 300 से भी कम कारोबारी इस व्यापार को कर रहे हैं।

    भारत-पाकिस्तान के तनाव से साथ ही व्यपार पर भी प्रभाव पड़ता है। पठानकोट, मुंबई और उरी हमले के दौरान भी इस व्यापार को बंद किया गया था। पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने कहा कि “मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान सीमा पार व्यापार को, सीमा हमेशा अप्रासंगिक होनी चाहिए के नजरिये से खोला गया था। इस नजरिये के साथ व्यापार और पर्यटन हमेशा जारी रहना चाहिए। लेकिन मैं सरकार के कारणों को समझ सकता हूँ। इसका मकसद हवाला के जरिये आने वाले धन को रोकना है। अगर आतंकवाद खत्म हो जायेगा तो आपके पास सुरक्षित सीमा होगी।”

    एनआईए ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी की थी। एलओसी पर व्यापार का इस्तेमाल घाटी में आतंकी गतिविधियों को वित्तीय सहायता मुहैया करने के लिए किया जा सकता है। जम्मू कश्मीर के नेता ओमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र ने पूर्व प्रधानमंत्री की विरासत की कुर्बानी दे दी है।

    साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भाजपा पर सत्ता में वापसी के लिए कश्मीर को बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि “सत्ता में वापसी के लिए कश्मीर को बलि का बकरा बनाना भाजपा की मदद नहीं कर सकेगा। उनके शान्तिपूर्ण रवैये के बावजूद पाक के साथ संबंधों को खराब करने का यह एक बहाना है। इससे पीएम मोदी ने वाजपेयी जी की पहल को बर्बाद कर दिया है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *