हेलिना के परियोजना निदेशक सचिन सूद ने कहा कि हेलीकॉप्टर से लॉन्च इस नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम), जिसे स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है, ने सभी परीक्षण पूरे कर लिए हैं और सेना द्वारा स्वीकृति (एओएन) जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला ने विकसित किया है।
इस मिसाइल को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ सूद ने बताया है कि, “इस परियोजना के लॉन्चर और मिसाइल तैयार हैं। कुछ ह्यूमन-मशीन इंटरफेस [एचएमआई] को साकार किया जाना अभी बाकी है जो अभी जारी रहे हैं।”
हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी लागत का अनुमान लगाया जाना अभी बाकी है। लेकिन प्रत्येक मिसाइल की लागत ₹1 करोड़ से कम होने की उम्मीद है और शुरुआत में लगभग 500 मिसाइलों और 40 लॉन्चरों की आवश्यकता होगी।
एओएन जारी होने के बाद प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया जाएगा। बाद के चरण में सेना द्वारा पहले प्रोडक्शन लॉट से कुछ फायरिंग ट्रायल किए जाएंगे।
हेलिना एक तीसरी पीढ़ी का फायर-एंड-फॉरगेट क्लास एटीजीएम है जो स्वदेशी उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) पर लगाया गया है और इसकी न्यूनतम सीमा 500 मीटर और अधिकतम सीमा 7 किलोमीटर है। डॉ. सूद ने आगे कहा कि न्यूनतम सीमा वाले सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है और मंच पर अन्य हथियारों के साथ एकीकरण समाप्त हो गया है।
यह कहते हुए कि वायु सेना ने जल्द ही शामिल किए जाने वाले हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) पर हेलिना को एकीकृत करने की व्यवहार्यता के लिए कहा था, डॉ सूद ने बताया कि यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी और मिसाइल के उत्पादन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को सुव्यवश्थित करने में सहायता करेगा। डॉ सूद ने यह भी कहा
कि, “इस मिसाइल की बहुत अच्छी निर्यात क्षमता भी है।”
इसके साथ ही ध्रुवास्त्र नाम की एंटी-टैंक मिसाइल का भी परीक्षण किया गया। इन मिसाइलों का परीक्षण राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में किया गया।