अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के अनुसार विश्वभर में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के कर्ज़ की तुलना में भारत के ऊपर बहुत कम कर्ज़ है। हाल ही में आईएमएफ़ ने चेतावनी जारी की है कि वर्ष 2017 में कुल वैश्विक कर्ज़ 182 हज़ार अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड पर पहुँच गया है।
वर्ष 2017 में भारत की कुल जीडीपी की तुलना में देश पर प्राइवेट कर्ज़ 54.5 प्रतिशत व सरकारी क्षेत्र का कर्ज़ 70.4 प्रतिशत है। इस तरह वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार देश में उसकी कुल जीडीपी का करीब 125 प्रतिशत कर्ज़ है।
वहीं दूसरी ओर जनसंख्या के मामले में नंबर एक पर काबिज चीन के ऊपर उसकी कुल जीडीपी का 247 प्रतिशत कर्ज़ है।
आईएमएफ़ के डायरेक्टर विटर गैस्पर ने बतया है कि ‘विश्व कि सभी अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत के ऊपर कम कर्ज़ है। इन सभी के औसत से भारत की तुलना करने पर भारत बेहतर स्थिति पर है।’
इसी के साथ उन्होने चेताया है कि वैश्विक कर्ज़ इस समय 182 हज़ार अरब डॉलर को पार कर चुका है, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बिलकुल भी अच्छा संकेत नहीं है। हालाँकि उन्होने कहा है कि ‘वर्तमान समय में वैश्विक स्तर में प्राइवेट सेक्टर द्वारा लिए जाने वाले कर्ज़ में कमी आई हैं।’
इसके आगे उन्होने कहा कि पिछले दस सालों में प्राइवेट सेक्टर ने बहुत सा कर्ज़ लिया है, लेकिन पिछले तीन सालों में इन आकड़ों में आश्चर्यजनक रूप में कमी आई है। वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के द्वारा लिया गया कर्ज़ अभी भी ऊपर है।
अगर भारत की बात करें तो पिछले कुछ सालों में देश के प्राइवेट सेक्टर द्वारा लिए जा रहे कर्ज़ में कमी देखने को मिली है। देश की जीडीपी की तुलना में ये 60 प्रतिशत से घट कर 54.4 प्रतिशत तक पहुँच गया है।
जबकि अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्राइवेट सेक्टर द्वारा सार्वजनिक सेक्टर की तुलना में अधिक कर्ज़ ले रखा गया है।