भारत व ईरान के बीच में संबंध मजबूत बने हुए है। भारत व ईरान के बीच संबंधो से पाकिस्तान व चीन जैसे देश बेचैन रहते है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी 15 फरवरी को भारत दौरे पर आ रहे है। तीन दिवसीय भारत दौरे के दौरान कूटनीतिक और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। अगस्त 2013 में सत्ता संभालने के बाद रूहानी की ये पहली भारत यात्रा है।
भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ “नवीनतम क्षेत्रीय और वैश्विक विकास” के बारे में चर्चा की जाएगी। भारत-ईरान संबंधो को विचित्र माना जाता है। चाबहार बंदरगाह का विकास करके व उसमे भारत द्वारा निवेश करने के बाद भारत व ईरान संबंध मजबूत बने है।
भारत-ईरान इतिहास
ईरान और भारत ने साल 1947 तक एक समान सीमा साझा की। 1950 में भारत और ईरान ने राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1956 में शाह मोहम्मद रजा पहलवी के भारत के दौरे से यात्रा शुरूआत हुई। इंदिरा गांधी व जवाहर लाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने ईरान का दौरा किया था।
2001 में दोनों देशों के बीच संबंधों ने अहम उपलब्धि हासिल करते हुए तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने ईरान की राजधानी तेहरान का दौरा किया था।
तेहरान यात्रा के बाद दोनों देशो के बीच संभावित सहयोग को मजबूती प्रदान की गई। दोनों देशों ने ईरान के क्रूड ऑयल में मुख्य रूप से कई क्षेत्रों में व्यापार संबंध विकसित किए है।
भारत ईरान से बडी मात्रा में कच्चे तेलों को खरीदता है। दोनों के बीच में व्यापारिक संबंध बने हुए है।
तेल व्यापार और गैस क्षेत्र
भारत और ईरान के बीच में मुख्यतः तेल और गैस क्षेत्र का व्यापार होता है। भारत व ईरान के बीच मे अपने देश में ही तेल व गैस संयंत्रों का विस्तार करने पर बातचीत की जा रही है। साल 2016 में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ओएनजीसी, आईओसीएल, गेल और एमआरपी के प्रतिनिधियों के साथ फरजद बी और अन्य संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए ईरान का दौरा किया था।
भारत ईरान से तेल ज्यादा मात्रा में खरीदता है। तेहरान देश का तीसरी सबसे बड़ी तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है। चीन के बाद भारत ने ईरान से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है। भारत भी वर्तमान में ईरान से तेल आयात में कटौती करके अन्य देशों से भी खरीद रहा है।
भारत-ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह
ईरान के चाबहार बंदरगाह को भारत द्वारा व्यापारिक क्षेत्र के लिए विकसित कर रहा है। चाबहार के जरिए अफगानिस्तान व भारत के बीच में व्यापार सरल हो गया है।
चीन को हिंद महासागर में घेरने के लिए भी ईरान महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चुनौती देने के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह को भारत विकसित कर रहा है।
ग्वादर बंदरगाह से 80 किमी दूर स्थित चाबहार बंदरगाह ईरान में स्थित है। साल 2016 के दौरान मोदी ने ईरान में चाबहार बंदरगाह को लेकर अनुबंध किया था। इसके तहत 85 मिलियन डॉलर के निवेश को किया जाएगा।
भारत-ईरान रक्षा व सैन्य सहयोग
अमेरिका व ईरान के बीच में संबंध तनाव पूर्ण रहते है। इस वजह से ही ईरान व भारत की नजदीकियों से अमेरिका चिंतित रहता है। भारत-ईरान के बीच में रक्षा व सैन्य सहयोग बना हुआ है।
दोनो देशों के बीच में पिछले काफी सालो से सामरिक क्षेत्रों में योगदान करने पर जोर दिया गया है। 1983 में भारत-ईरान संयुक्त आयोग की स्थापना ने सैन्य संबंधों और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के संबंध में नींव रखी।