अमेरिका द्वारा लगाये गए प्रतिबंधों के कारण भारत के रिफाइनर ईरान को तेल खरीदने का आर्डर देने में देरी कर रहे हैं ,एक सूत्र ने बताया कि इस पर अस्पष्टता है कि अमेरिका प्रतिबंधो से रियायत की समयसीमा को बढ़ाता है या नहीं।डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में हुए परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
इसके बाद अमेरिका ने भारत सहित आठ राष्ट्रों को ईरान से तेल खरीदने के लिए प्रतिबंधों से छह माह यानी मई तक की रियायत दी थी चीन के बाद ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीददार भारत है, जिसे एक माह में 90 लाख बैरल तेल खरीदने की अनुमति है।
सूत्र ने बताया कि भारत अगले साथ से दस दिनों में तेल खरीदने की रियायत बढाने की स्पष्टता के लिए इंतज़ार कर रहा है। साथ ही समयसीमा के बढ़ने के आलावा तेल खरीदने की मात्रा में भी इजाफा हो सकता है। सूत्र ने बताया कि “हम अमेरिका के विचारों को नहीं जानते हैं, वह भारत को तेल खरीदने की अनुमति दे भी सकते हैं और नहीं भी।
मौजूदा रियायत के तहत भारत प्रतिदिन 300000 बैरल तेल खरोद सकता है ईरान पर प्रतिबंधों से पूर्व भारत इस मात्रा का दोगुना तेल खरीदता था इस स्तर पर भारत ईरान से को खरीदना जारी रखना चाहता है।
नवम्बर से केवल इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम और मंग्लोर रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल्स ही ईरान से तेल खरीदता हैं , तेल मंत्रालय और स्टेट रिफाइनरी ने रायटर्स के सवालों का जवाब पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी।
अमेरिका द्वारा आईआरजीसी पर प्रतिबंधों ने भी ईरान के तेल निर्यात करने पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं .मौजूदा मामले में अगर पर्याप्त विकल्प मौजूद है तो स्पष्टता के लिए इंतज़ार करना ही बेहतर होगा। डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को ईरान की सेना को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया था इस पर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “तेहरान अमेरिका के दबाव का विरोध करेगा और आईआरजीसी ईरानी जनता की रक्षा में तैनात रहेगी।”