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    चाबहार बंदरगाह

    भारत और ईरान 26 फरवरी को चाहबार दिवस के आयोजन की योजना बना रहे हैं। यह ईरान का महत्वपूर्ण रणनीतिक बंदरगाह है, संचालन भारत कर रहा है।

    इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक इस संयुक्त समारोह का मकसद बंदरगाह से कारोबारी क्षमता को दर्शाना है और साथ ही एक आर्थिक जोन मुहैया करना है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को मात दे सके। ग्वादर का विकास चीन सैन्यकरण के लिए कर रहा है।

    आयोजन में कारोबारी शरीक होंगे

    कारोबारी समूह और अन्य का नेतृत्व भारतीय दल के प्रतिनिधि करेंगे।  इस एक दिवसीय आयोजन में अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस के भाग लेने की भी सम्भावना है। ईरान बंदरगाह की अपार संभावनाओं पर एक प्रेजेंटेशन देगा। ईरानी अधिकारी ने कहा कि यह आयोजन कारोबारियों, व्यापारियों, कंपनियों और विभिन्न राष्ट्रिय व अंतर्राष्ट्रीय लाइनर्स के लिए एक सुनहरा मौका है।

    इस बंदरगाह के माध्यम से भारत यूरेशिया और अफगानिस्तान तक अपनी पंहुच बना सकेगा। ईरान ने चाहबार बंदरगाह का विकास के लिए आधिकारिक नियंत्रण की कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को सौंप दिया था। कंपनी ने सोमवार को चाहबार पर अपना दफ्तर शुरू कर दिया और चाहबार में स्थित शाहीद बहेस्ती बंदरगाह का नियंत्रण भी ले लिया है।

    रेलवे लाइन का निर्माण

    भारत चाहबर और ईरान के ज़ाहेदान को जोड़ते हुए 500 किलोमीटर की रेल लाइन का निर्माण करेगा, जो अफगानिस्तान के ज़रांज तक जायेगी। चाहबार बंदरगाह के निर्माण के बाद भारत, अफगानिस्तान, ईरान और अन्य देशों के लिए यह आर्थिक वृद्धि का कार्य करेगा।

    चाहबार बंदरगाह की क्षमता का प्रचार और लोकप्रिय बनाने के लिए 26 फ़रवरी 2019 को एक समारोह के आयोजन का निर्णय लिया है। इस डील के तहत, इमबोर्ट-एक्सपोर्ट बैंक ऑफ़ इंडिया ने ईरान को 15 करोड़ डॉलर दिए थे और जरूरती उपकरणों को मुहैया करने के लिए 85 मिलियन डॉलर दिए थे। चाबहार पोर्ट का विकास दो भागों में किया जायेगा।

    ख़बरों के मुताबिक भारत और ईरान एक अन्य डील करने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के देश से आयातित 80 से 100 उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क को कम कर देंगे।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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