पाकिस्तान कश्मीर मामले पर निरंतर भारत की स्थिति के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने की कोशिश में जुटा हुआ है जबकि अधिकतर वैश्विक मुल्को ने इसे भारत का आंतरिक मामला करार दिया है और द्विपक्षीय तरीके से इस मसले का हल निकालने की गुजरिश की है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कश्मीर पर भारत के खिलाफ कूटनीतिक चाल चलने की कोशिश की थी और अपने फ्रांस के समकक्षी जीन यवेस ले द्रियन से फ़ोन पर बातचीत की थी और सुरक्षा परिषद् के सदस्य होने के नाते फ्रांस से कश्मीर में शान्ति को सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।
हालाँकि इस्लामाबाद का पट्टा नही चला और फ्रांस के विदेश मन्त्री ने मामले को द्विपक्षीय तरीके से हल करने का आग्रह किया। पाकिस्तानी विदेश विभाग ने कहा कि “इस इलाके में मजीद तनाव न बढ़ने को सुनिश्चित करना चाहिए और बताया कि ऐसा ही सन्देश उन्होंने भारत को भी दिया है।”
शुरुआत में फ्रांसिसी समकक्षी ने भारत के जम्मू कश्मीर के दर्जे पर गैर कानूनी और एकतरफा कार्रवाई के बारे में बताया था कि कैसे यह अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएनएससी के विशेषाधिकारो के उलट है। पाक ने बीते हफ्ते विदेश मंत्री को चीन की यात्रा पर भेजा था ताकि उनकी मदद से यूएन की एक तत्काल बैठक को बुलाया जा सके।
यूएन की बैठक में पांच में से चार सदस्य देशो ने पाकिस्तान के पक्ष का समर्थन नहीं किया था और इससे बैठक में चीन और पाकिस्तान अलग थलग पड़ गए थे।
भारत ने सत्ताधारी भाजपा सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है। भारतीय संसद ने इस विधेयक के माध्यम से जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो विभागों में विभाजित कर दिया है।
बीते हफ्ते डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान से फ़ोन पर बातचीत की थी और यह स्पष्ट कर दिया था कि यह दोनों देशो के बीच का आंतरिक मामला है और मंगलवार को खान ने ट्रम्प को कश्मीर के हालातो के बारे में बताया था। साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प से कश्मीर विवाद का हल निकालने की गुजारिश की थी।