पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान पर भारतीय विभाग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने शनिवार को कहा कि पाक पीएम की टिप्पणी ने सभी भारतीयों का अपमान किया है। इमरान खान ने एक बार फिर भारत के लिए गलत भावना व्यक्त की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के कहा कि यहां कई दिग्गज विभिन्न धर्म के नेता है, जो कई उच्च और संवैधानिक पद पर नियुक्त थे।
उन्होंने कहा कि इसके उलट, पाक मे उच्च पदों पर इस्लामिक धर्म मानने वाले आलावा किसी और को नियुक्त नहीं करते हैं। पाकिस्तान के ‘नया पाकिस्तान’ में भी अल्पसंख्यकों का जिक्र नहीं था। पाक के पीएम इमरान खान की आर्थिक सलाहकार परिषद् में भी कोई अल्पसंख्यक मौजूद नहीं है।
भारत सरकार ने कहा कि यदि पाकिस्तान घरेलू चुनौतियों और हालातों को सुधारने में अपना ध्यान देगा तो वह बेहतर करेगा, ध्यान भटकाने की फिजूल कोशिश न करे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारतीय जनता की भावनाओं के साथ खेलने का प्रयास कर रहे हैं और भारतीय जनता इसे नकार देगी।”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यकों को बराबरी का अधिकार मिले।न कि इस आधार पर कि भारत में मुस्लिमों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है।
इमरान खान ने अपनी सरकार के 100 दिनों के कामकाज का विवरण देने के लिए लाहौर में स्थित एक समारोह में शरीक हुए थे। इमरान खान ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना हिन्दू-मुस्लिम एकजुटता के कट्टर समर्थक थे और साथ रहने में विश्वास करते थे। उन्होंने कहा कि जिन्ना किसी कारण कांग्रेस से अलग गए थे और उन्हें महसूस हो रहा था कि कांग्रेस आज़ादी की मांग तो कर रही है लेकिन मुस्लमानो को समानता का हक देने को तत्पर नहीं है।
उन्होंने बताया कि उनकी सरकार पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सामान दर्जा दिलवाने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यह मोहम्मद अली जिन्ना का नजरिया था। इमरान खान ने कहा कि उनकी सरकार सुनिश्चित करेगी कि धार्मिक अल्पसंख्यक लोग पाकिस्तान में सुरक्षित और संरक्षित रहे और नए पाकिस्तान में सभी को बराबरी का दर्जा मिले।
उन्होंने नसीरुद्दीन शाह के बयान पर कहा कि हम मोदी सरकार को अल्पसंख्यको के साथ बराबरी का सुलूक करना सिखायेंगे, क्योंकि भारत के नागरिक कह रहे हैं कि उनके यहाँ अल्पसंख्यकों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा है।