पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि “भारत के साथ बातचीत केवल तभी संभव है जब नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के अपने फैसले को रद्द नहीं कर देती, प्रतिबंधों को समाप्त नहीं करती और अपने सैनिकों को बैरक में वापस ले जाती है।”
गुरुवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स में लेख में इमरान खान ने फिर से चेतावनी दी कि अगर दुनिया ने कश्मीर पर भारत के फैसले को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, तो दो परमाणु संपन्न देश प्रत्यक्ष सैन्य टकराव होने की संभावनाए बढ़ जाएँगी। भारत के इस फैसले को उलटने के बाद ही वार्ता संभव है।
भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्ज को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान को निष्प्रभावी कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। भारत के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों को खत्म कर दिया था।
इमरान खान ने कहा कि “कश्मीर पर बातचीत के लिए सभी हितधारको खासकर कश्मीर को शमिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “लेकिन वार्ता तभी शुरू हो सकती है जब भारत कश्मीर के अवैध कब्जे को वापस ले, कर्फ्यू हटाए और अपनी सेना वापस बुलाए।”
धारा 370 को निरस्त करना भारत का आंतरिक मामला था। भारत ने पाकिस्तान के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए कड़ी आलोचना की है और आंतरिक मुद्दों पर भारत विरोधी बयानबाजी से उकसाने का आरोप लगाया है।
इमरान ने कहा कि जब उन्हें पिछले अगस्त में प्रधान मंत्री चुना गया था, तो उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक दक्षिण एशिया में स्थायी और सिर्फ शांति के लिए काम करना था। लेकिन शांति के लिए बातचीत शुरू करने के उनके सभी प्रयास भारत द्वारा खारिज कर दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि “दक्षिण एशिया पर मंडराने वाली परमाणु खतरे से हमें एहसास होता है कि पाकिस्तान और भारत को कश्मीर, विभिन्न रणनीतिक मामलों और व्यापार पर बातचीत शुरू करने के लिए विचार कम किया जा रहा है। अगर दुनिया भारत के अत्याचारों को रोकने के लिए कुछ नहीं करता है तो इसका प्रभाव समस्त दुनिया पर पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि “दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्र सीधे सैन्य टकराव के काफी करीब पंहुच जायेंगे।” इमरान ने अपने लेख में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह भी आग्रह किया कि यह जरूरी है कि दुनिया व्यापार और व्यापार के फायदे से परे भी सोचें।”
पाकिस्तान द्वारा परमाणु मुद्दे को बार-बार उठाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि “इस्लामाबाद दक्षिण एशिया में “आतंक की स्थिति” बना चाहेगा।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 9 अगस्त को नई दिल्ली में कहा कि “उनकी तरफ से, वे एक भय की स्थिति को उत्पन्न करना चाहेंगे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को लगता है कि युद्ध जैसी स्थिति बिल्कुल नहीं है। यह ध्यान आकर्षित करने की कोशिश है।”