भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और इटली के प्रधानमन्त्री गुइसेप्पे कांटे ने रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में द्विपक्षीय समझौते के विस्तार पर रजामंदी जताई है। साथ ही आतंकियों के सुरक्षित ठिकाने मुहैया करने वालों पर नकेल कसने और सीमा पार आतंक को रोकने पर भी सहमती जताई है।
दोनों देशों के प्रमुखों ने बातचीत के दौरान कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत की थी। दोनों राष्ट्रों के साझे बयान में बताया कि इटली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश का समर्थन करता है। इटली भारत के साथ रक्षा समझौतों को मज़बूत करना चाहता है। दोनों देशों के रक्षा संबंध ऑगस्टा वेस्टलैंड घोटाले के कारण ख़राब हो गए थे।
साल 2014 में भारत में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ विमान डील को रद्द कर दिया था। ऑगस्टा वेस्टलैंड कंपनी पर आरोप थे कि उसने इस डील के लिए किसी बिचौलिए को घूस दी थी।
साझा बयान के मुताबिक भारत ने इटली की रक्षा उपकरण का उत्पादन करने वाली कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर साझा रक्षा उपकरण के निर्माण करने के लिए कहा है। इसके अलावा रेलवे, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, ऊर्जा और अन्य मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की थी।
पीएम मोदी और इनके समकक्षी ने कई अन्य वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि नेताओं ने आतंकी समूहों, आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बाबत चर्चा की थी। पीएम मोदी और पीएम कांटे आर्थिक वृद्धि और जनता से सीधे बातचीत में अपनी भागीदारी की अहमियत को जानते हैं।
साझा बयान में कहा कि यह पहल अन्तराष्ट्रीय मानकों, समर्थन, कानून, पारदर्शिता और समानता पर आधारित होना चाहिए। चीन विस्तारवादी रणनीति के तहत बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट को एशिया से अफ्रीका तक फैला रहा है। भारत ने इस परियोजना का विरोध किया था क्योंकि यह पकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है। भारत ने कहा था कि इस परियोजना के तहत चीन को अन्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का ख्याल रखना चाहिए।