भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के द्वारा हाल ही में पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार सितम्बर 2018 के अंत तक भारत में कुल 56 करोड़ ब्रॉडबैंड एवं नैरोबैंड की संख्या हो गयी थी।
2 सालों में 65 प्रतिशत बढ़ी यूजर संख्या :
मोदी सरकार ने मार्च 2016 में 2018 के अंत तक देश में 50 करोड़ इन्टरनेट के यूजर का लक्ष्य रखा था। लेकिन तब से कुल यूजर 65 प्रतिशत बढ़कर 50 करोड़ से भी अधिक हो गए हैं। देखा जाए तो ये समय से पहले ही लक्ष्य से कहीं ज्यादा हो गए हैं। इसी के चलते एक साल पहले आंकडें जारी किये थे की भारत इन्टरनेट डाटा प्रयोग करने के मामले में दुसरे नंबर पर पहुँच गयी है।
दिसम्बर 2015 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था “हमारा लक्ष्य यह है की 2018 के अंत तक इन्टरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 50 करोड़ पहुँच जाए। यदि ऐसा होता है तो मुझे विशवास है की हम आईटी बाज़ार में चीन की बराबरी कर लेंगे।”
उपभोक्ताओं की बढ़ोतरी के आंकड़े :
यदि तुलना की जाए तो मार्च 2016 तक इन्टरनेट उपभोक्ताओं की संख्या केवल 34 करोड़ थी जो एक साल में मार्च 2017 तक बढ़कर 42 करोड़ हो गयी थी। इसके बाद 31 मार्च, 2018 को उपभोक्ताओं की संख्या 49 करोड़ थी। इसके तीन महीने में यह संख्या 52 करोड़ पहुँच गयी थी एवं इसके बाद सितम्बर 2018 के आखिर में यह 56 करोड़ पहुँच गयी थी।
तेज़ वृद्धि के क्या कारण रहे ?
कुल 56 करोड़ इन्टनेट के उपभोक्ताओं में से 36 करोड़ उपभोक्ता शहरी इलाकों से हैं एवं 19.4 करोड़ उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र से हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में इन्टरनेट उपभोक्ताओं में वृद्धि सरकार द्वारा किये गए बड़े निवेश एवं विभिन्न योजनाओं के शुरू किये जाने की वजह से है। इसके साथ ही अब ज्यादा प्रदाता ग्रामीण क्षेत्रों पर केन्द्रित होकर कार्य कार्य कर रहे हैं यह भी एक वजह है उपभोक्ताओं के इतनी तेजी से बढ़ने की।
इसके साथ ही इसका श्रेय टेलिकॉम बाज़ार में जिओ के प्रवेश को भी दिया जा रहा है क्योंकि इसके आने के बाद बहुत तेज़ी से इंटरनेट के उपभोक्ता बढे हैं। अतः जिओ के योगदान को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है।