अमेरिका के हाउस ऑफ़ रिप्रेसेंटिव में एक विधेयक को पेश किया गया है जो अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को बेहतर और नई दिल्ली को वांशिगटन का करीबी सहयोगी और साझेदार बना देगा। 8 अप्रैल को सांसद जो विल्सन ने एचआर 2123 बिल को सदन में पेश किया था जिसमे अमेरिका ने आर्म्ड कंट्रोल एक्सपोर्ट एक्ट में पर्याप्त बदलाव करने हैं।
इस विधेयक के मुताबिक अमेरिकी राज्य सचिव और रक्षा सचिव इस पर संयुक्त मूल्यांकन करेंगे कि भारत में समर्थन करने काबिलियत है और अमेरिका-भारत के संयुक्त हितो के लिए सैन्य अभियान को अंजाम देने की सक्षमता है। यह यह रक्षा निर्यात नियंत्रण नियमों में संसोधन की बात करता है। जिससे भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा मिल जायेगा।
भारत-अमेरिका संयुक्त बयान के मुताबिक, “अमेरिका एंड इंडिया: इंड्योरिंग ग्लोबल पार्टनर्स इन द 21 फर्स्ट सेंचुरी” के बिल के मुताबिक वांशिगटन भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा देगा और दोनों देशों के बीच एक मज़बूत साझेदारी “स्थिरता का सहारा” होगा।
1976 आर्म्स एक्सपोर्ट कण्ट्रोल एक्ट के तहत अमेरिका का राज्य विभाग अन्य देशों को रक्षा उपकरण के आयात -निर्यात और अन्य देशों को सुविधायों देने का कार्य करता है। इस प्रस्ताव के तहत भारत को नाटो देशों के बराबर का दर्जा मिल जायेगा।
फिलहाल अमेरिका की इस फेरहिस्त में इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल है। इससे प्रस्ताव के पारित होने से अमेरिका और भारत के संबंधों में काफी प्रगति होगी। पेंटागन के मुख्य साझेदारी के शामिल होने से भारत को जल्द अति संवेदनशील उत्पादों तक पंहुच मिल सकेगी।