अमेरिका ने गज़ा में स्थित हमास चरमपंथी समूह व अन्यों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की सभा में निंदा प्रस्ताव प्रस्तावित किया था। भारत ने इस वितिंग प्रक्रिया से खुद को अलग रखा है। यह प्रस्ताव ‘एक्टिविटीज ऑफ़ हमास और अन्य मिलिटेंट ग्रुप इन गज़ा’ के समर्थन में 87 मत पड़े जबकि 58 विपक्ष में और 32 नदारद है।
हालांकि यह प्रस्ताव यूएन सभा में पारित नहीं हो सका क्योंकि इसके लिए यूएन में दो तिहाई बहुमत की जरुरत होती है। भारत उन 32 देशों में हैं जो मतदान में नदारद रहे थे। हमास चरमपंथी समूह पर इजराइल में राकेट फायर करने और हिंसा फ़ैलाने के आरोप है, जिससे नागरिकों की जीवन संकट में पड़ता है। साथ ही हमस्गाज़ा को चरमपंथी कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
मतदान प्रक्रिया से पूर्व यूएन में अमेरिकी प्रतिनिधि निक्की हेली ने कहा कि इजराइल की नींदा करने पर 500 से अधिक प्रस्ताव पारित किये जा चुके हैं लेकिन हमास के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को पारित करने के लिए जो दो तिहाई बहुमत की जरुरत होती है, पक्षपात है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव एक अवसर है कि राज्य सही कार्य करें।
इजराइल के राजदूत ने कहा कि यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के लिए छुटकारा पाने के एक अवसर है और जिन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है उन्हें शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमास चरमपंथी गज़ा के लोगों का शोषण करते हैं और यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि बोको हरम, अल कायदा और हमास के मध्य कोई अंतर नहीं है।
उन्होंने कहा कि यहूदी लोग हनुक्का के त्यौहार का जश्न मना रहे हैं और यह अमेरिका का सामर्थ्य हैं कि वह हमास क निंदा के लिए प्रस्ताव लेकर आया है।
प्रस्ताव के खिलाफ मत देने वाले देश का बयान
सऊदी अरब के प्रतिनिधि ने कहा कि साल 1967 से इजराइल ने सुरक्षा परिषद् के किसी प्रस्ताव का सम्मान नहीं किया है। कुवैत और इजराइल के प्रतिनिधि ने कहा कि इस प्रस्ताव में विवाद की जड़ को नज़रंदाज़ किया गया है।
कुवैत के प्रतिनिधि ने कहा कि फिलिस्तीन-इजराइल विवाद को यूएन में रखने का सम्मान करते हैं और उन्होंने साल 1967 पर आधारित द्विराष्ट्र समाधान की भी महत्वता बताया था।