भारत और अमेरिका के मध्य रक्षा सौदा अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर है और द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी ऐतिहासिक शान्ति पर सहयोग जारी रखेंगे। अमेरिकी इंडो-पैसिफिक के कमांडर एडमिरल फिलिप्स डैविडसन ने सीनेट आर्म्ड सर्विस कमिटी के सदस्यों से कहा कि “बीते सितम्बर से नई दिल्ली में आयोजित 2+2 वार्ता के दौरान और साल 2018 में कॉमकासा पर हस्ताक्षर ने दोनों राष्ट्रों के द्विपक्षीय संबंधों में यू-टर्न आया है।”
अमेरिका को उम्मीद है कि यह परिवर्तन जारी रहेगा और साल 2019 द्विपक्षीय संबंधों की सार्थक प्रगति लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया की दो बड़े लोकतान्त्रिक देश राजनितिक, आर्थिक और सुरक्षा मसलों पर प्राकृतिक मित्र है। अमेरिकी कमांडर ने कहा कि “वैश्विक स्थिरता का संयुक्त मंशा, अंतर्राष्ट्रीय नियम-कानून, मुक्त और खुला इंडो पैसिफिक क्षेत्र, भारत और अमेरिका ने हितों पर समझौते वृद्धि हुई है।
बीते वर्ष भारत और अमेरिका सेना ने पांच प्रमुख अभ्यास किये थे, पचास से अधिक सैन्य आदान-प्रदान और साल 2016 में हुआ लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ़ एग्रीमेंट का सञ्चालन किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी इंडो पैसिफिक कमांड, भारतीय सेना के साथ संचालन कर रही है।
अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड अमेरिकी प्रणाली मसलन, एफ-16 और एफ/ए -18 ई एयरक्राफ्ट व 12 से 15 पी-8 आई की खरीद का पूरा समर्थन करता है। पेंटागन की किसी भी सौदे से कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा की दक्षिण एशिया में इंडो-पैसिफिक अवसरों का सृजन और हथियाने का मार्ग है।
अमेरिका इंडो-पैसिफिक में मुक्त, स्वतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत नौचालन की आज़ादी की मांग करता है। हालाँकि चीन इस इलाके में सैन्यकरण की योजना के अरमान पाले बैठा है। चीन दक्षिणी चीनी सागर पर अपना अधिकार मानता है साथ ही पूर्वी चीनी समुन्द्र में जापान के अधिकृत सेन्काकू द्वीप पर भी चीन अपना दावा ठोकता है। चीनी जहाज निरंतर सेन्काकू द्वीप में गश्त करते रहते हैं। चीन के अलावा दक्षिणी चीनी सागर पर वियतनाम, फ़िलीपीन्स, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी अपना दावा ठोकते हैं।
जाहिर है इंडो-पैसिफिक वह इलाका है, जिसके साथ चीन की लम्बी समुद्री सीमा है। दक्षिणी चीन सागर भी इसका एक हिस्सा है। ऐसे में चीन इस पुरे इलाके पर अपना प्रभुत्व जताता है और छोटे देशों को धमकाता है। भारत और जापान का मानना है कि यह इलाका स्वतंत्र होना चाहिए और किसी एक देश का इसपर जोर नहीं होना चाहिए। भारत और जापान नें इस पर मिलकर अपनी सेनाओं के बीच साझेदारी की भी बात की है।