भारत और अमेरिका ने बुधवार को छह परमाणु प्लांट के निर्माण पर सहमति जाहिर कर दी है। इससे द्विपक्षीय सुरक्षा और परमाणु सहयोग में वृद्धि होगी। इन प्लांट का निर्माण भारत में किया जायेगा। भारत-अमेरिकी नौंवी रणनीतिक वार्ता में यह समझौता किया गया था। इसका सह अध्यक्षता भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिकी स्टेट ऑफ़ आर्म्स कण्ट्रोल एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी की राज्य सचिव एंड्रिया थॉम्पसन ने की थी।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार “वे द्विपक्षीय सुरक्षा और सीविल परमाणु सहयोग को मजबूत करने को लेकर प्रतिबदिध है। इसमें छह परमाणु ऊर्जा के प्लांट भी शामिल है।”
साल 2008 में भारत और अमेरिका ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। अमेरिका ने भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश की प्रतिबद्धता को दोबारा दोहराया है।
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— India in USA (@IndianEmbassyUS) March 14, 2019
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा और अप्रसार चुनौतियों पर विचारो का आदान प्रदान किया था। साथ ही जनहानि वाले हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए एकजुट होकर कार्य करने का वादा किया था।”
भारत ने रूस के साथ बीते वर्ष अक्टूबर में छह परमाणु ऊर्जा प्लांट्स के निर्माण के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित सालाना बैठक में किया गया था। इस सम्मेलन में रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर भारत की यात्रा पर आये थे।
एनएसजी समूह में 48 वें सदस्य के तौर पर प्रवेश के लिए भारत के मार्ग पर चीन हमेशा अड़ंगा लगाये रखता है। चीन के मुताबिक भारत ने अभी तक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नही किये हैं, जबकि अन्य पी-5 देश भारत अप्रसार रिकॉर्ड को देखते हुए नई दिल्ली का समर्थन करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ही पी-5 के नाम से जानते हैं। पत्रकारों को संबोधित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सदस्य देशों के सफलतापूर्वक सम्मेलन के अंत में संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाये रखने के महत्वपूर्ण निर्णय पर पंहुचे हैं।