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    ट्रेड फेयर जीएसटी

    भारतीय कारोबारियों के लिए इस साल अंतराष्ट्रीय ट्रेड फेयर काफी फीका रहा। कारोबारियों के मुताबिक जीएसटी की वजह से चीजों की कीमत काफी बढ़ गयी है, जिसे लोग नहीं खरीद रहे हैं। ऐसे में कई कारोबारियों ने कहा है कि वे अगले साल से इस ट्रेड फिर में नहीं लौटेंगे।

    आपको बता दें हर साल अंतराष्ट्रीय ट्रेड फिर का आयोजन किया जाता है। इसमें विश्व भर से कारोबारी सामान बेचने आते हैं। इस साल आये कारोबारियों ने कहा कि भारत में हाल ही में लागु किये गए जीएसटी की वजह से उनके पदार्थ काफी महेंगे हो गए हैं, जिसकी वजह से उनकी बिक्री नहीं हुई है।

    आइये जानते है कि कारोबारियों का क्या कहना है?

    हकन कर्पूज ( टर्की ) – हकन पिछले 19 सालों से ट्रेड फेयर में हिस्सा लेते आये हैं। इस बार हकन के व्यापार में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट हुई है। हकन ने मुताबिक इसका कारण जीएसटी है। हकन ने बताया, “इस साल व्यापार काफी खराब रहा। हमने करीबन 20 लाख रूपए अपनी दूकान के लिए चुकाए, लेकिन हर दिन सिर्फ 20000 रूपए की ही आमदनी हो रही है। मैं अगले साल वापस नहीं आऊंगा।”

    इशाक तिमुर्जादा ( अफगानिस्तान ) – इशाक ने बताया कि जीएसटी की वजह से दाम बढ़ गए हैं और इससे व्यापार में घाटा हो रहा है। इशक फर्श पर बिछाने वाले कारपेट बेचते हैं, जिनकी कीमत 10000 रूपए से एक लाख रूपए तक होती है। उन्होंने बताया, “इस साल जब से यह मेला शुरू हुआ है, मैंने सिर्फ 2 या 3 ही पीस बेचे हैं। पिछला शनिवार थोडा ठीक था, वर्ना हम तो हर समय खाली बैठे रहते हैं। मैं पिछले 10 सालों से यहाँ दूकान लगा रहा हूँ, लेकिन इसी साल व्यापार काफी खराब रहा।”

    सलमान खान ( शारजाह ) – सलमान शारजाह में कपड़े का सामान बेचते हैं। उन्होंने बताया कि यह लगातार दूसरा खराब साल है। उनके मुताबिक, “पिछले साल नोटबंदी और इस साल जीएसटी। हमने दूकान के किराये के लिए 5 लाख रूपए दिये हैं और अबतक हमने सिर्फ 50000-60000 रूपए के कपड़े ही बेचे हैं। हम पिछले 12 सालों से यह काम कर रहे हैं, लेकिन अबसे मुझे इसबारे में कुछ सोचना होगा।”

    क्रिस्टल ( मिजोरम ) – क्रिस्टल के मुताबिक लोग बिना जीएसटी जोड़े सामान खरीदना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जीएसटी की वजह से कई लोग सामान खरीदने से मना कर रहे हैं।

    भैरव दत्त – भैरव मसालों की दूकान चलाते हैं। उन्होंने बताया, ‘हम यहाँ सालों से आ रहे हैं। हर बार हमें काफी लोग मिलते हैं, लेकिन इस बार हमें कोने में एक दूकान मिली है।’

    हालाँकि ट्रेड फेयर के प्रबंधक गुना सेकरन के मुताबिक उन्होंने कारोबारियों के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया है। उन्होंने बताया, “यह जरूरी नहीं है कि फोन नंबर विक्रेता के नाम पर हो। हमने सिर्फ इतना कहा है कि उनकी संभावित बिक्री पर वे टैक्स भरें। यदि उनकी बिर्की उससे कम होती है तो उन्हें पैसे वापस मिल जायेंगे। पहले उन्हें कई प्रकार के टैक्स देने पड़ते थे, लेकिन अब जीएसटी के चलते ऐसा नहीं हैं।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।