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    भारतीय सेना से 28 साल पहले, हिंदी सिनेमा ने फिल्म "अजूबा कुदरत का" में की यति की खोज

    सोमवार को भारतीय सेना ने दावा किया कि उन्होंने पूर्वोत्तर हिमालय में मकालू बेस कैंप के पास हिमालयन पौराणिक प्राणी यति के पैरों के निशान देखे। संबंधित तस्वीरें भारतीय सेना के अतिरिक्त सूचना महानिदेशालय (ADG-PI) ने ट्विटर पर पोस्ट की थीं।

    भारतीय सेना ने कहा कि उनके पर्वतारोहण अभियान दल ने, पहली बार 9 अप्रैल को यति के पैरों के निशान देखे, जो नेपाल में स्थित मकालू बारुण राष्ट्रीय उद्यान के करीब है, एकमात्र स्थान जहां पूर्व में कथित तौर पर मायावी प्राणी देखा गया है। सेना का दावा है कि इन पैरों के निशान 32×15 इंच लम्बे हैं।

    हालाँकि यति, जिसे एबोमिनेबल स्नोमैन या एशियाई बिगफुट भी कहा जाता है, को हिमालयी निवासी कहा जाता है, लेकिन इसका अस्तित्व आज तक सिद्ध नहीं हुआ है। ऐसा माना जाता है कि ये सफेद राक्षस जैसे जीव का वजन 91 और 181 किलोग्राम के बीच होता है और यह 6 फीट लंबे होते हैं।

    जबकि यति को लेकर हर जगह सुर्खिया बनी हुई है, ये 1991 की याद दिला देता है जब इस प्राणी पर आधारित एक बॉलीवुड फिल्म बनी थी। श्याम रामसे और तुलसी रामसे द्वारा निर्देशित फिल्म का नाम “अजूबा कुदरत का” है जिसका मुख्य आकृषण एक छोटी लड़की और यति है। इसका मतलब भारतीय सेना से पहले, हिंदी सिनेमा ने 28 साल पहले यति का पता लगा दिया था।

    यति

    यति पर बनने वाली इकलौती फिल्म में दीपक पाराशर, हेमंत बिरजे और मंजीत खुल्लर मुख्य भूमिकाओं में जबकि शगुफ्ता अली, मैक मोहन, सुधीर, बेबी श्वेता, बीना, हुमा खान, जॉनी लीवर, गोगा कपूर और अनिल धवन सहायक भूमिकाओं में नज़र आये थे।

    फिल्म का एक गीत-‘यति आई लव यू’ दर्शको के बीच काफी मशहूर भी हुआ था।

    नेशनल ज्योग्राफिक की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश खोजकर्ता एरिक शिप्टन 1951 में यति के पदचिह्नों को कैद करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने माउंट एवरेस्ट के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की तलाश करते हुए पदचिह्नों को देखा था। दिलचस्प बात यह है कि शिप्टन की खोज उसी मकालू बारुन नेशनल पार्क के पास हुई थी जहाँ भारतीय सेना दावा करती है कि यति के पैरों के निशान देखे गए हैं।

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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