Mon. May 20th, 2024

    नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)| निजी यात्री ट्रेनों का संचालन 100 दिनों के अंदर शुरू किए जाने की योजना पर प्रमुख वामपंथी दल मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इसका प्रमुखता से विरोध करते हुए इसे भारतीय रेल के निजीकरण की योजना बताया।

    माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में छपे एक संपादकीय में कहा गया, “मोदी सरकार का दूसरा कदम एक निजीकरण अभियान द्वारा उठाया जा है। पहले से ही नीति आयोग ने घोषणा की है कि सार्वजनिक क्षेत्र के 46 उद्यमों को बेच दिया जाएगा।”

    गौरतलब है कि रेल मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित एक योजना के अनुसार, 100 दिनों के अंदर निजी यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। टिकट और ऑनबोर्ड सेवाएं प्रदान करने वाली रेलवे की सहायक कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) को दो यात्री ट्रेनों की पेशकश की जाएगी। ये ट्रेनें प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज जैसे महत्वपूर्ण मार्गो पर चलाई जाएंगी।

    सरकार राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों सहित प्रीमियर ट्रेनों के संचालन की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटरों को सौंपना चाहती है, जिसके लिए निविदाएं इसी साल मंगाई जाएंगी।

    माकपा ने कहा, “महानगरीय शहरों और प्रमुख मार्गो पर जाने वाली ट्रेनें अधिक लाभदायक हैं, जो निजी क्षेत्र को दी जाएंगी। इससे रेलवे का किराया बढ़ेगा और सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती होगी।”

    माकपा का कहना है कि यह निजीकरण की ओर पहला कदम होगा और निजी कंपनियों को उत्पादन के बाहरी ठेके देने का मार्ग प्रशस्त करेगा। संपादकीय में कहा गया कि भारतीय रेल का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए।

    भारतीय रेल का नेटवर्क 69,182 किलोमीटर है, जो रोजाना लाखों लोगों को एक से दूसरे कोने तक ले जाने का अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *