भारतीय रेलवे ने सामान्य यात्री डिब्बों को भी स्मार्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसका मकसद यात्रा को सुविधाजनक, आरामदेह और सुरक्षित बनाने के साथ यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करना है। यह स्मार्ट डिब्बे इस साल से ही पटरी पर उतर सकते हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। रेलवे के रॉलिग स्टाक मेंबर राजेश अग्रवाल के मुताबिक, रेलवे कोच में सेंसर लगाने का काम शुरू हो गया है।
ये सेंसर काफी संवेदनशील हैं जो ट्रेनों में छोटी से छोटी दिक्कतें और खराबी को समय रहते पकड़ लेते हैं जिससे समय रहते इन खराबियों को दूर कर लिया जाता है। ये सेंसर ट्रैक और कोच में लगी चक्कों की भी समय रहते जांच कर बता देते हैं कि कहा दिक्कतें हैं।
ध्यान रहे कि पहले यह काम रेलवे मैन्यूली करती थी।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इन सेंसर का इस्तेमाल कोच और डिब्बों में पानी भरने के लिये भी किया जा रहा है, जिससे हर समय कोच और डिब्बों में पानी पर्याप्त मात्रा में रखा जा सके। ये सेंसर डिब्बों में पानी के औसत मात्रा से कम होते ही निकटम स्टेशन को अलर्ट भेजते हैं जिससे यह मालूम हो जाता है कि किस कोच या डिब्बे में पानी भरना है।
रेलवे के अनुसार, रेलवे के यात्री डिब्बों को चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ), कपूरथला की रेलवे कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) और रायबरेली की मॉर्डन कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) में स्मार्ट बनाया जाएगा। इस काम में रेलवे के 2,000 से ज्यादा अधिकारी और तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। यह अधिकारी और कर्मचारी यात्री डिब्बों को आईओटी, सेंसर, स्काडा, नेटवर्किं ग, एनालिटिक्स, अलर्ट इत्यादि तकनीकें लगाने में जुटे हैं।
रेलवे ने दावा किया है कि अत्याधुनिक तकनीक को रेल तेजी से अपना रही है और इसमें अधिकारी से लेकर सामान्य कर्मचारी तक सहयोग कर रहे हैं।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे में कर्मियों की लगातार कमी हो रही है, बावजूद इसके रेलवे ने बीते साल उम्दा और उल्लेखनीय काम किया है जिससे दुर्घटनाओं में बहुत कमी आई है।