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    भारत और वियतनाम के प्रमुख

    भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वियतनाम के दौरे पर गए हैं। वियतनाम सरकार को उम्मीद है कि भारत दक्षिण  एशिया के राष्ट्रों के साथ रक्षा समझौतों को बढाने के लिए हनोई को 500 मिलियन डॉलर लाइन ऑफ़ क्रेडिट (एलसी) की मदद देगा।

    भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्ष पूर्व एलसी का ऐलान किया था। वियतनाम के हालिया जानकारी से लगता है कि भारत और वियतनाम के मध्य साझेदारी की नींव रक्षा सहयोग पर आधारित है। वियतनाम ने भारतीय सेना के साथ  मज़बूत सहयोग और उपकरणों के लिए उच्च स्तर के प्रतिनिधियों की बैठक को बढ़ाया था।

    सितम्बर 2016 में एलसी का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि दोनों राष्ट्रों के मध्य रक्षा क्षेत्र का प्रचार करने से भारत का सार्थक हित है। साथ ही पीएम मोदी ने टेलीकम्यूनिकेशन यूनिवर्सिटी में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क के निर्माण के लिए 5 मिलियन डॉलर की मदद करने की भी घोषणा की थी।

    अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वियतनाम नहीं चाहता कि उसके सकल घरेलू उत्पाद के 50 प्रतिशत से अधिक विदेशी कर्ज बढे। वियतनाम के कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा के आलावा अन्य विभागों के बाबत भी चर्चा जारी है और एलसी की मदद को वियतनाम सरकार कई अन्य विकास कार्यों में उपयोग करेगी।

    भारत चाहता है कि वियतनाम एलसी मदद का उपयोग भारत के रक्षा उत्पादों को खरीदने के लिए उपयोग करें। इससे पूर्व भारत ने 100 मिलियन डॉलर की एलसी मदद को आगे बढ़ा दिया था, जिसका उपयोग वियतनाम ने भारत से हाई स्पीड पेट्रोल नाव खरीदने में किया था। वियतनाम के राष्ट्रपति के भारत के साथ केवल रक्षा शेत्र के लिए ही 500 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।

    ख़बरों के मुताबिक चीन की नाराज़गी के कारण वियतनाम भारत के साथ इस समझौतों को मुक्कमल करने से झिझक रहा है। वियतनाम ने हाल ही में कहा था कि किसी राष्ट्र के खिलाफ बने समूह का समर्थन वह नहीं करेंगे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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