चीन की सबसे बड़ी नौसेन्य परेड में भारत के दो युद्धपोतों ने भाग लिया हैं और यह आयोजन विश्व की सबसे तीव्रता से बढ़ रही चीनी नौसेना के निर्माण के 70 वें वर्षगांठ पर किया गया है। चीन पीपल्स लिब्रेशन आर्मी नेवी के कुल 32 जहाज छह समूहों में नौचालन करेंगे और परेड में नेवी के 39 जंगी विमान उड़ान भरेंगे। इसकी अध्यक्षता चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग करेंगे जो सेना के प्रमुख है।
पूर्व सोवियत संघ के जहाज लिओनिंग एयरक्राफ्ट के आलावा चीन अपनी हालिया सभी परमाणु पनडुब्बी, विध्वंशको और लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन करेगी। हालाँकि मौसम इसका मज़ा ख़राब कर सकता है क्योंकि आसमान पर बादल छाये होंगे और सैंकड़ो मेहमान इसे अच्छी तरह से देख पाने में असक्षम होने।
भारत के दो युद्धपॉट आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति होंगे। आईएनएस कोलकाता खुद से निर्मित किया गया सबसे बड़ा विध्वंशक है और आईएनएस शक्ति जहाजों को सहयोग करने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है। आईएनएस कोलकाता को कप्तान आदित्य हारा कमांड करेंगे, यह आधुनिक हथियारों से लैस है। इसमें सुपरसोनिक ब्रह्मोस और सेंसर्स लगे हैं। यह वायु, समुन्द्र और जल के अंदर कई खतरों से निपटने में सक्षम है।
इस परेड में पाकिस्तान नौसेना के जहाज नदारद थे। पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त के इस भव्य समारोह में जहाजों को नहीं भेजा था और इसका कारण हालिया भारत-पाक दुश्मनी है जो पुलवामा आतंकी हमले के बाद शुरू हुई थी। बहरहाल, पाकिस्तानी नौसेना के प्रमुख एडमिरल ज़फर महमूद अब्बासी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि समूह समारोह में शामिल हुआ था।
पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त होने के आलावा चीन के हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार पाकिस्तान ही है। चीन ने हाल ही में पाकिस्तान के लिए चार अत्याधुनिक नौसैनिक युद्ध पोतो का निर्माण किया था। अमेरिका ने भी अपना कोई युद्धपोत
नहीं भेजा था।
इसके आलावा रूस और जापान ने आधुनिक जहाजों को भेजा था। भारतीय राजदूतों ने कहा कि “चीनी अधिकारीयों ने भारतीय नौसैन्य जहाजों की इस समारोह में उपस्थित होने पर तहे दिल से सराहना की है। 13 देशों से 18 जहाजों ने इसमें भागीदारी की थी।”
परेड में एक चीनी जहाज लिओनिंग था जिसका अख्तियार साल 2010 में चीन को मिला था और उसका दूसरा स्वयं निर्मित एयरक्राफ्ट ट्रायल से गुजर रहा है और तीसरे का निर्माण जारी है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग विश्व के सबसे बड़े नेता उभरे हैं। उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी सेना पीएलए के बीते कुछ वर्षों में तीन लाख सैनिको की कमी की है। साथ ही चीन ने वैश्विक प्रभुत्व को व्यापक स्तर पर बढ़ाने के लिए नौसेना और वायुसेना का विस्तार किया है।
चीन के इतिहास में पहली बार हिन्द महासागर के जिबोटी और अरब सागर के ग्वादर बंदरगाह पर चीनी वायुसेना का बेस है। कर्ज के बदले में चीन ने श्रीलंका का हबनटोटा बंदरगाह भी 99 वर्ष के लिए ले लिया है।
कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।