भारत में मुस्लिम स्कूलों की मुख्य संस्था, दरगाह-ऐ-अला हज़रत ने कहा है कि सभी बच्चों को तलाक़ के सही नियमों के बारे में पढ़ाया जाएगा।
मुस्लिम विद्वानों के अनुसार तीन तलाक़ जैसा कोई भी कानून मुस्लिम कानून में नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तलाक़ से संबधित एक नया पाठ बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
मुस्लिम स्कूलों में पहले से ही तलाक़ के बारे में पढ़ाया जा रहा है, लेकिन अब इसे सही ढंग से विस्तार में पढ़ाये जाने की जरूरत है। एक वरिष्ठ मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक़ के फैसले के बाद हमने सभी अधिकारीयों की एक बैठक बुलाई। इसके हमने यह सुझाव दिया कि सभी स्कूलों में बच्चों को तलाक़ के सही नियमों के बारे में पढ़ाया जाए।’
आगे कहा गया कि इस कदम से बच्चों को यह बताया जाएगा कि भारत में जो तलाक़ की नीति है, वह इस्लाम के कानून में नहीं है। मौलाना ने कहा कि स्कूलों में 9 से 16 साल तक के बच्चे पढ़ते हैं। यह स्कूल पर निर्भर करता है कि वह इसके बारे में बच्चों को कब पढ़ाते हैं।
जाहिर है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक़ के कई किस्से सामने आ रहे हैं।