भारतीय क्रिकेटर जो अब किसी भी दौरे पर जाते है तो अपनी पत्नी, बच्चो और दाई के साथ जाते है, जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के लिए एक सरदर्दी बना हुआ है। खिलाड़ियो को पिछले साल बीसीसीआई ने लंबे दौरो पर उनके परिवार को दो हफ्ते तक उनके साथ रहने की अनुमति दी थी। लेकिन बीसीसीआई को अब इन चीजो को संभालना मुश्किल हो रहा है और यह उनके लिए यह सरदर्दी बना हुआ है।
सूत्रो ने कहा है कि बीसीसीआई को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दौरे में कुछ परेशानी झेलनी पड़ी थी- जिसमें खिलाड़ियो, सहयोगी स्टाफ और परिवार के सदस्यो के परिवाहन को लेकर कई असुविधाए सामने आए थी, जिसमें सबकी संख्या मिलाकर 40 थी। बोर्ड ने उस समय दो बसे कर रखी थी लेकिन फिर भी संख्याओं का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया था।
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने विदेश दौरे के लिए वैग्स की अनुमति भी मांगी थी। टीओआई रिपोर्ट द्वारा पता लगा है, कि बीसीसीआई ने खिलाड़ियो की पत्नी को दौरे के 10 दिन बाद खिलाड़ियो के साथ रहने की मंजूरी दी थी। बोर्ड ने अब पारिवारिक अवधि बनाने की कोशिश की है। जहां खिलाड़ी का परिवार खिलाड़ियो से एक समय की अवधि पर ही मिल सकता है, ऐसा हर दौरे पर होगा।
यह पता चला है कि क्रिकेटरो के परिवार की यात्रा में बीसीसीआई का खर्चा नही है क्योंकि क्रिकेटर खुद अपने परिवार का खर्चा उठाते है, लेकिन यह बीसीसीआई के लिए एक सिरदर्द बना हुआ है।
बीसीसीआई के अधिकारी ने टीओआई से गुरूवार को बात करते हुए कहा, ” अगर टीम कम संख्या में यात्रा करती है तो इसे आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है। इससे बीसीसीआई के कर्मचारियो के लिए फील्ड व्यवस्था करना आसान होगा। टिकट बुक करने से लेकर कमरो तक का पूरा प्रबंधन बीसीसीआई को करना पड़ता है। यह एक दुःस्वप्न होगा अगर यह व्यवस्था खिलाड़ियो के परिवार के लिए इंंग्लैंड में होने वाले विश्वकप में भी बनानी पड़ेगी तो जो एक लंबा टूर्नांमेंट चलेगा।”