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    भारत-जीडीपी-विकास-8-फीसदी

    नोटबंदी के बाद मोदी सरकार अर्थव्यवस्था ने बड़े बड़े वादे किये गए थे। जिनकी पोल जीडीपी के आंकड़े आने पर खुल चुकी है। जीडीपी में आई कमी का कारण नोटबंदी और जीएसटी का लागु करना माना जा रहा था। सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का जीडीपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा हालंकि पूर्व प्रधानमंत्री ने सरकार को चेताते हुए कहा था, कि नोटबंदी के कारण जीडीपी पर असर पड़ेगा।

    नोटबंदी के बाद 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ़्तार 7.9 थी। नोटबंदी के बाद लगातार जीडीपी दर में गिरावट आई है। पिछले एक साल में जीडीपी दर 7.9 से घटकर 5.7 हो चुकी है।

    मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नोटबंदी के बाद गिरावट आई है, 1000 और 500 के नोट बंद होने और नए नोट की उपलब्धता काम होने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के ग्रोथ रेट में कमी आई है। इससे जीडीपी पर सीधा असर पड़ा है।

    नवम्बर 2016 में राज्यसभा में नोटबंदी पर चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा साबित होगी। इससे भारत की अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो सकती है। जीडीपी में 2% तक गिरावट आ सकती है। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था, मोदीजी किसी ऐसे देश का नाम बताये, जहा लोगों ने बैंक में अपने पैसे जमा करवाए है, पर निकाल नहीं सकते है। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के दौरान हुई मौतों के बार में पूछते हुए कहा था कि नोटबंदी से जो 65 लोगों की मौत हुई है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

    इसका जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने कटाक्ष करते हुए दिया था। उन्होंने कहा था कि बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने की कला मनमोहन सिंह जी के अलावा कोई नहीं जानता है।

    जीडीपी में गिरावट की बात की जाए तो अर्थशास्त्रीय विशेषषज्ञो का मानना है, कि जीएसटी के नए कर ढांचे और नोटबंदी के कारण जीडीपी में लगातार कमी हो रही है।