केंद्र सरकार ने भारतमाला परियोजना के दुसरे चरण के लिए 3,000 किलोमीटर रोड और लगभग 4,000 किलोमीटर नए ग्रीनफील्ड हाईवे बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमे वाराणसी-रांची-कोलकाता, इंदौर-मुंबई, बैंगलोर-पुणे और-त्रिची शामिल हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने परियोजना के विकास के लिए बोलियों को आमंत्रित भी कर दिया है क्योंकि वे चाहती है कि जैसे ही पहले चरण का काम हो जाये, वैसे ही दूसरे चरण भी शुरू कर सकें।
हाईवे मंत्रालय ने कहा-“हमें भारतमाला के पहले चरण के लिए स्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने में दो साल लगे। अगली परियोजना की डीपीआर बनाने में आसानी होगी और समय भी कम लगेगा और जल्द काम के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने पर ध्यान दे रहे हैं।”
हाईवे परियोजना के निष्पादन में हुई देरी के लिए खराब डीपीआर एक बहुत बड़ा कारण रहा है और सरकार अक्सर पूरक कार्यों को बढ़ावा देती है जिससे कि योजना लागत बढ़ जाती है। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। इसका उद्देश्य दूरी और यात्रा कम करना है। सरकार ने कारों के लिए राजमार्गों पर अधिकतम गति सीमा को 120 किलोमीटर प्रति घंटा अधिसूचित किया है। अभी तक राजमार्ग निर्माण बड़े पैमाने पर मौजूदा सड़कों के विस्तार और चौड़ीकरण के तौर पर ही होता रहा है।
प्राधिकरण ने सलाहकार से नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी से जा रही सड़क संरेखन से बचने के लिए कहा और कहा कि भले ही लम्बा रास्ता पड़ जाये मगर उसे कोई नुकसान नहीं होगा। इस परियोजना के पूरा होने पर माल ढुलाई का 70 से 80 फीसदी काम नेशनल हाइवे से होने लगेगा। वर्तमान में केवल 40 फीसदी ढुलाई का काम हाइवे के जरिए होता है।