भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सर्वे में ये बात निकल कर सामने आई है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर लड़ते हैं तो उन्हें फायदा होगा और अगर ये साथ नहीं लड़ते तो कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन को फायदा होगा।
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने साथ चुनाव लड़कर महाराष्ट्र की 48 में से 41 सीटों पर कब्जा किया था। जिसमे से भाजपा ने 23 और शिवसेना के हिस्से 18 सीटें आई थी। एक उपचुनाव हारने के बाद भाजपा के पास 22 सीट है जबकि शिवसेना के पास 18 सीट। कांग्रेस ने 2 और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 5 सीटें हासिल की थी जबकि स्वाभिमान पक्ष ने 1 सीट पर जीत दर्ज किया था।
हालाँकि शिवसेना 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर चुकी है लेकिन भाजपा अभी भी गठबंधन की उम्मीद है। अमित शाह और उद्धव ठाकरे की इस सिलसिले में मुलाकात हो चुकी है हालाँकि अभी तक बात नहीं बनी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस साफ़ तौर पर कहते हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियाँ साथ लड़ेंगी क्योंकि दोनो की विचारधारा एक है।
हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्य गंवाने के बाद भाजपा पाने सहयोगियों को साधने और मनाने में जुटी है।