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    भाजपा और कांग्रेस

    5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाथों गँवा दिया लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात रही कि भाजपा से नाराज वोट पूरी तरह से कांग्रेस की तरफ नहीं गया और कुछ नए खिलाड़ियों ने इसका फायदा उठा लिया।

    अगर हम 2014 के चुनावों में मिले भाजपा के वोट से तुलना करें तो पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीनो राज्यों में लोकसभा की कुल 65 सीटों में से 62 सीटों पर कब्जा किया था।

    मध्य प्रदेश में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में तो हारने वाली भाजपा का वोट शेयर जीतने वाली और ज्यादा सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस से ज्यादा है। राज्य में भाजपा ने 41 फीसदी वोट के साथ 109 सीटें हासिल की जबकि कांग्रेस ने 40.9 फीसदी वोटों के साथ भाजपा से 5 सीटें ज्यादा हासिल की। राज्य में कांग्रेस को 114 सीटें मिली।

    राजस्थान में भाजपा कर कांग्रेस के बीच वोट शेयर का अंतर बहुत ही कम था। राजस्थान में कांग्रेस ने 39.3 फीसदी वोटों के साथ 99 सीटों पर कब्ज़ा किया जबकि भाजपा ने 38.8 फीसदी वोटों के साथ 73 सीटें हासिल की। राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का फासला करीब 0.5 फीसदी का रहा और सीटों का अंतर 26 रहा। तेलंगाना और मिजोरम में क्षेत्रीय पार्टियों ने जीत हासिल की।

    छतीसगढ़ में, कांग्रेस ने 2013 के विधानसभा चुनाव में 40.3 फीसदी वोट हासिल किये थे और 2014 के लोकसभा चुनाव में 38.37 फीसदी वोट हासिल किये थे। 2013 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 41 फीसदी वोट हासिल किये। 2018 में भाजपा का वोट शेयर 41 फीसदी से गिर कर 33 फीसदी पर आ गया, मतलब पुरे 8 फीसदी का नुकसान। 2018 कांग्रेस ने 43 फीसदी वोट हासिल किये अर्थात 2013 के मुकाबले कांग्रेस के वोट में सिर्फ 2.7 फीसदी का उछाल आया। भाजपा से छिटका 8 फीसदी वोट पूरी तरह से कांग्रेस की तरफ नहीं गया।

    छतीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने 2013 में अकेले लड़ कर 4.3 फीसदी वोट हासिल किये थे और अब अजीत जोगी की पार्टी के साथ मिलकर 11.5 फीसदी वोट हासिल किये। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी 0.4 फीसदी ज्यादा वोट हासिल किये। मतलब साफ़ है कि भापा ने नाराज वोटर बहुत थोडा सा कांग्रेस की तरफ गया और ज्यादा बसपा और अजीत जोगी गठबंधन की तरफ मुड गया।

    राजस्थान में भाजपा का वोट शेयर 45.2 फीसदी (2013) से गिर कर 38.8 फीसदी (2018) तक आ गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 55 फीसदी था। जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 33.1 फीसदी (2013) से बढ़कर 39.3 फीसदी (2018) हो गया। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 9.5 फीसदी वोट हासिल किये जो 2013 के 8.2 फीसदी से बढ़ गया।

    मध्य प्रदेश में कांग्रेस का वोट शेयर  36.4 फीसदी (2013) से बढ़कर 40.9 फीसदी (2018) हो गया और भाजपा 44.9 फीसदी (2013) से गिरकर 41 फीसदी पर आ गया। बसपा का वोट शेयर 5 फीसदी तक गिर गया लेकिन निर्दलियों ने 5.8 फीसदी वोट हासिल कर लिए।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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