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    भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने शुक्रवार को भड़की हिंसा के मद्देनजर शनिवार को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर को पत्र लिखा है। सिन्हा ने कुलपति से लीग मानसिकता के साथ सांप्रदायिक तत्वों द्वारा की गई हिंसा की जांच के लिए एक समिति बनाने का आग्रह किया है। सिंह ने अपने पत्र में लिखा, “13 दिसंबर को हुई हिंसा किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक घटना है। विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का एक हिस्सा है, लेकिन यह तब अस्वीकार्य है, जब इसे फासीवादी तरीके से किया जाता है।”

    उन्होंने कहा, “विरोध के दौरान शुक्रवार को जो हुआ वह लीग की मानसिकता के साथ सांप्रदायिक तत्वों द्वारा की गई एक संगठित हिंसा थी।”

    हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को धर्मनिरपेक्ष बताते हुए सांसद ने कहा, “कुछ लोग कश्मीर के पत्थरबाजों से अत्यधिक प्रभावित हैं। उन्होंने सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले नारे लगाए।”

    उन्होंने लिखा, “शुक्रवार को हुआ हिंसक विरोध देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है और इसकी जांच होनी चाहिए। विश्वविद्यालय का एक कोर्ट सदस्य होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में उक्त घटना की जांच करें। सांप्रदायिक तनाव के लिए साजिश रचने वाले अपराधियों की पहचान करें और बिना किसी देरी के उनके खिलाफ कार्रवाई करें।”

    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वामपंथी छात्रों द्वारा शुक्रवार को संसद तक एक मार्च निकाला गया, जोकि हिंसक हो गया था। प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस दौरान ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन से संबंधित छात्र नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे थे।

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