Sun. Nov 24th, 2024

    भाजपा ने बुधवार को शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को समझाने में “विफल” होने के लिए दोषी ठहराया। राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए।

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मराठाओं को सरकारी नौकरियों में कोटा देने वाले महाराष्ट्र के कानून को “असंवैधानिक” करार दिया, और कहा कि 1992 के मंडल फैसले द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण को हटाने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं थी।

    “यह राज्य सरकार की पूर्ण विफलता है। यह सरकार उच्चतम न्यायालय को यह समझाने में विफल नहीं कि असाधारण परिस्थितियों के चलते कोटा में 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाना क्यों महत्वपूर्ण था, जिसे राज्य के मराठा समुदाय के संबंध में बनाया गया था” – पाटिल ने पुणे में संवाददाताओं से कहा।

    उन्होंने कहा कि पिछली देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था, जिसने मराठा समुदाय को तीन मोर्चों – सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक – पर पिछड़ा हुआ मानने की सिफारिश की थी। फडणवीस सरकार ने तब (2018 में) मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने का कानून बनाया, जिसे बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। उन्होंने कहा, “फडणवीस सरकार ने सफलतापूर्वक बॉम्बे हाई कोर्ट को आश्वस्त किया था कि मराठा राज्य की आबादी का 32 प्रतिशत हिस्सा है और राज्य में यह कैसे असाधारण स्थिति थी”। 

    लेकिन, पाटिल ने यह भी दावा किया की वर्तमान में महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को मिलाकर) ने “मराठा समुदाय को पूरी तरह से विफल कर दिया है”। भाजपा नेता ने कहा, “मराठा समुदाय के युवाओं को इस मुद्दे पर बोलना चाहिए और राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाहिए”।उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाए।

    राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने भी इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि यह निर्णय मराठा समुदाय के लिए “पूर्ण निराशा” के रूप में आया है।

    उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद, कुछ मराठा संगठनों के सदस्यों ने पुणे में अपनी बाहों पर काले रिबन पहनकर विरोध प्रदर्शन किया। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने इसे मराठों के लिए एक “काला दिन” बताया।

    By दीक्षा शर्मा

    गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से LLB छात्र

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *