90 के दशक में राम मंदिर आन्दोलन का मुख्य चेहरा और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने कहा है कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी और राम मंदिर और गंगा की सफाई पर ध्यान केन्द्रित करेंगी।
मोदी कैबिनेट में स्वच्छता और पेयजल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रही उमा भारती का ये निर्णय ऐसे वक़्त में आया है जब हिंदूवादी पार्टियाँ मंदिर निर्माण के लिए नए सिरे से आन्दोलन की शुरुआत कर रही है 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र।
उमा भारती ने इससे पहले भी साल के शुरुआत में ये घोषणा की थी लेकिन उस वक़्त उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “मैं 15 जनवरी 2019 से डेढ़ साल के लिए गंगा यात्रा पर निकल रही हूँ। मैंने इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से आज्ञा ले ली है। मैंने राम मंदिर के लिए कार्य करुँगी। ये हमारे विश्वास और आस्था का विषय है।” उन्होंने ये भी कहा कि अब विरोध और आन्दोलन की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब सभी पार्टियों की सहमती से इसका समाधान निकल आएगा।
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भारती ने कहा कि चुनाव नहीं लड़ने का ये मतलब नहीं कि वो राजनीति से संन्यास ले रही है। उन्होंने कहा “मैं अपनी आखिरी सांस तक भाजपा के लिए काम करती रहूंगी।”
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जनता भाजपा के झूठे वादों से परेशान हो चुकी है। पार्टी के नेता जान चुके हैं कि वो 2019 में नहीं जीत सकते इसलिए चुनाव नहीं लड़के के लिए बहाना ढूंढ रहे हैं। उन्होंने कहा जहाँ तक राममंदिर का सवाल है तो भाजपा इस मुद्दे पर कई सालों से चुनाव लडती आ रही है इसलिए अब लोग उसपर भरोसा नहीं करेंगे।