भज्जू श्याम, एक गोंड़ कलाकार, को देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला। इन्हें आज गणतंत्र दिवस के समारोह पर पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
मध्य प्रदेश के सबसे गरीब और पिछड़े आदिवासी जिले डिनडुरी के पटनगढ़ से दसवीं कक्षा तक पढ़े भज्जू को, विश्व में बच्चों की किताबों के सबसे उत्कृष्ट संपादक का दर्जा मिला है। उन्हे उनकी किताब “द नाइट लाइफ आॅफ ट्रीज” के लिए बोलोगना रगाजी ‘न्यू होरिज़ोन’ अवार्ड मिला है।
उन्हे ख्याति तब प्राप्त हुई जब उनकी कला को 1998 में पेरिस में प्रदर्शित किया गया। उसके बाद इन्हे 2001 में लंदन स्थापित एक रेस्टोरेंट ने अंदरूनी दिवार पर कलाकृति उकेरने के लिए बुलाया गया।
हालांकि दूसरे सैलानी की तरह भज्जू लंदन सिर्फ घूमने नही गए। उन्होंने अपने अनुभव को ‘लंदन जंगल बुक’ नाम की एक किताब में लिखे। इस किताब की ख्याति इतनी बढ़ी कि इसे 5 अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया।
भज्जू कलाकार बनने से पहले सिक्योरिटी गार्ड और इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम करते थे। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वह 16 साल की उम्र मे ही अमरकंटक में वह पौधे लगाने का काम करने लगे, जहां उन्हे हर एक पौधा लगाने के लिए 2 रूपए मिलते थे।
कला जगत से उनका परिचय उनके चाचा ने करवाया था, जो कि खुद एक नामी गोंड़ कलाकार थे। उनके आत्मविश्वास तब बढ़ने लगा जब उनकी 5 पेंटिंगे 1200 रूपयों मे बिकी।