अयोध्या शोध संस्थान अब भगवान राम और रामायण से जुड़े तथ्यों पर एक दस्तावेज तैयार करेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद भगवान राम की कहानी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बताने के लिए और उसे तथ्यों के साथ पेश करने के लिए यह पहल की गई है, ताकि दुनियाभर के लोगों को इस पर भरोसा हो सके।
संस्थान के निदेशक वाई.पी. सिंह ने कहा, “हम दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, कैरिबिया और यूरोप के कुछ हिस्सों को अपने शोध में शामिल करने वाले हैं। हमारे और इन देशों के बीच विशेषज्ञों और दस्तावेजों की अदला-बदली की जाएगी। भगवान राम की कहानी पर कई सारी अकादमिक गतिविधियां भी होंगी।”
उन्होंने कहा कि सभी जानकारियां तथ्यों पर आधारित होंगी।
उन्होंने आगे कहा, “हम भगवान राम की गाथा को पौराणिक कथाओं से परे लेकर जाना चाहते हैं और दुनियाभर में उनकी वास्तविक उपस्थित के बारे में बताना चाहते हैं।”
इस परियोजना के माध्यम से भारतीय संस्कृति-धार्मिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जाएगा।
सिंह ने बताया कि अयोध्या शोध संस्थान ने इटली, होंडुरास और इराक से पहले ही कुछ तथ्यों को प्राप्त किया है और उस पर आगे काम किया जा रहा है।
भगवान राम और हनुमान के शिलालेख इटली और इराक में पाए गए हैं, जबकि केंद्रीय अमेरिका के होंडुरास के जंगलों में राम की मूर्ति पाई गई।
इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस परियोजना के लिए 30 लाख रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से 15 लाख रुपये दिए जा चुके हैं।