आज के ज़माने में सेंसर बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से किसी फिल्म पर प्रतिबन्ध लगना बड़ी बात नहीं है। आये दिन कभी किसी फिल्म के किसी दृश्य को लेकर सेंसर बोर्ड को अप्पति हो जाती है तो कभी फिल्म के विवादित मुद्दे को लेकर। ये बहस काफी सालों से चल रही है मगर आपको ये जानकार हैरानी होगी कि प्रतिबन्ध की मार सहने वाली पहली भारतीय फिल्म 1921 में बनी थी।
आज हम आपको उस फिल्म के बारे में बताते हैं जिसे सबसे पहले प्रतिबन्ध का सामना करना पड़ा था। कांजीभाई राठोड़ के निर्देशन में बनी इस साइलेंट फिल्म का नाम था-“भक्त विदुर”। फिल्म में द्वारकादास संपत (विदुर), मानेकलाल पटेल (कृष्णा), होमी मास्टर (दुर्योधन), गंगाराम और प्रभाशंकर ने मुख्य किरदार निभाया था।
भारत में रौलट एक्ट पारित होने के कुछ ही समय बाद ये फिल्म आई थी। खबरों के मुताबिक, फिल्म में हिंदू पौराणिक किरदार विदुर में महात्मा गांधी के व्यक्तित्व से प्रेरित विशेषताएं थीं। महात्मा गांधी के कुछ सिग्नेचर एलिमेंट्स जिनमें गांधी टोपी भी शामिल है, फिल्म में देश की समकालीन राजनीतिक घटनाओं के संदर्भ के साथ चित्रित किए गए थे।
फिल्म में उस युग की कुछ राजनीतिक घटनाओं के होने के कारण, अंग्रेजो के शासन में चलने वाले सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की थी। बाकी प्रांतों के साथ, मद्रास और कराची में भी फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गयी थी।
पिछले कुछ सालों में, कई फिल्मों ने आंशिक प्रतिबन्ध का सामना किया है। सेंसर बोर्ड के अलावा, फिल्म पर या तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। हाल ही में, प्रतिबन्ध का सामना करने वाली फिल्मों में से एक है अभिषेक कपूर निर्देशित फिल्म ‘केदारनाथ‘ जिसमे सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान ने मुख्य किरदार निभाया था। फिल्म उत्तराखंड के किसी भी सात जिलो में नहीं दिखाई गयी थी।