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    भक्ति आंदोलन के उदय के कारण bhakti andolan in hindi

    मध्यकालीन युग के समय में भक्ति के विषय मे एक नई शुरूआत हुई। भगवान की भक्ति के लिए दिमाग मे एक तरह के विचारो का पनपना मध्य काल मे शुरू हुआ।

    इस समय हर कोई अपने आप को भगवान के प्रति समर्पित करने की कोशिश कर रहा था। मोक्ष की प्राप्ति के लिए भक्ति की शुरूआत हुई।

    विषय-सूचि

    भक्ति आंदोलन के कुछ मुख्य पहलू

    1. भगवान एक है और हर जगह इसके नाम अनेक है
    2. भक्ति, प्रेम और साधना के द्वारा ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है
    3.भगवान के असली नाम का जाप करना
    4. अपने आप को भगवान के हवाले करना
    5. हवन, समारोह, अंधविश्वास और रीति रिवाजो की निंदा करना
    6. कई संतो द्वारा मूर्ति पूजन को त्यागना
    7.धर्म से सबंधित बातो को खुले दिमाग से सुलझाना
    8. जतिवाद का खत्म करना
    9. मोक्ष की प्राप्ति के लिए गुरू का होना
    10.धर्म के उपदेशो को क्षेत्रीय भाषा मे सीख कर उनका प्रचार करना

    भक्ति से जुड़ी कई बातो का अध्यन भागवत गीता से किया जा सकता है। गीता मे भगवान कृष्णा ने कहा है कि जो कोई किसी और देवी देवता की भी अराधना करता है या मेरी अराधना करता है उसे भी मोक्ष की प्राप्ति होगी। आगे गीता मे वर्णन किया गया है कि अगर कोई कृष्णा को पत्ती, फूल या पानी भी देगा तो वह उसे भी पूर्ण रूप से स्वीकार करेंगे।

    भागवत गीता मे यह भी लिखा गया है कि अगर कोई सभी धार्मिक मार्ग छोड़ दे और कृष्णा की अराधना करने लगे तो वह उसे सभी पाप से बचाएंगे।

    असलीयत मे भक्ति का विकास दक्षिण भारत मे सातवी सदी से लेकर बाहरवी सदी तक हुआ। कवि व संत अलवर्स और नयनार ने धार्मिक शिक्षा को संकलित किया और दसवी सदी मे इसे पेश किया। वही मुस्लान धर्म मे सूफी और संतो ने अल्लाह को मानने का ज़ोर दिया। भक्ति के इस विकास मे गुरू नानक, मीराबाई, सूरदास का अहम योगदान रहा।

    भक्ति आंदोलन का प्रभाव मध्यकालीन भारत पर

    जिस समय मुस्लमान भारत पर राज्य कर रहे थे उस वक्त उन्होने हिंदु धर्म पर इस्लाम मानने का दबाव बनाया। इसी कारण की वजह से हिंदुओ को धार्मिक रूप से आघात करने की कोशिश की गई। कारणवश हिंदुओ को भक्ति आंदोलन से हिम्मत मिली। यदि भक्ति आंदोलन के उदय का कारण था।

    इस समय के दौरान ही भारतीय समाज मे अनेक प्रकार की कुरीतियो ने जन्म लिया और जातिवाद उत्पन्न हुआ।

    हिंदु और मुस्लमान समुदायो के बीच मे कडवाहत पैदा हुई और इस कडवाहट को औषधी की आवश्यकता थी। बाहरी विश्व से कुछ सूफी लोग भारत आए और वह खुले दिमाग के थे और सभी को बराबरी का हक देते थे। सूफीयो ने भारत मे प्रवेश कर प्रेम, भक्ति और भाईचारे की नई राह हमारे समाज को दी। इसी वजह से दोनो समुदाय आपस मे प्रेम से रहने लगे और रिश्तो मे सुधार आया।

    भक्ति आंदोलन के पालनकर्तां, संस्थापको और सूफीयो ने जातिवाद को नकारा। भक्ति आंदोलन का केंद्र बिंदु यह भी था कई लोगो का मानना था राम और रहीम एक ही थे। ऐसी मान्यता के कारण पंड़ित और मुल्लाहओ के बीच की तकरार समाप्त हुई। हिंदुओ को यह ज्ञात हो गया था कि भारत से मुस्लमानो को हटाना कठिन है। मुस्लमानो ने यह मान लिया था कि हिंदुओ की जनसंख्या ज्यादा है और सबको इस्लाम कबूल कराना मुश्किल है। इस आंदोलन के साथ ही दोनो समुदाय एक दूसरे के करीब आए।

    हिंदुओ की ओर से पंड़ित और मुस्लमानो की ओर से मौलवियो ने इसकी पहल की। दोनो धर्मो के अनुयायीयो का मानना था कि जातिवाद गलत है। किसी का जन्म भूमि के आधार पर मतभेद गलत है सभी ने एकजुट होकर बुराईयो को समाज से हटाने का जिम्मा लिया। कुछ सूफी संतो ने रिश्ते अच्छे बनाने की पहल की और कई हिंदुओ संतो के शिष्य बने परंतु उन्होने अपना धर्म परिवर्तन नही किया।

    भक्ति आंदोलन का सामाजिक प्रभाव

    भक्ति आंदोलन का सबसे बड़ा प्रभाव समाज पर यह था कि भक्ति आंदोलन के साथ जुड़े हुए व्यक्तियो ने जातिवाद का विरोध किया। सभी लोग एक दूसरे के साथ खाना खाने लगे और सबको सामनता का दर्जा देते थे।

    इस आंदोलन मे महिलाओ को प्राथमिकता दी जाने लगी। स्ती प्रथा का भी जड़ से उखाड़ कर फेकने की कोशिश की गई। मिलजुल कर साथ रहने से सभी धर्म के अनुयायीयो के बीच प्रेम और भाईचारा बढ़ा।

    भक्ति आंदोलन का धर्म पर प्रभाव

    हिंदु और मुस्लमान दोनो समुदाय ने ही अंधविश्वास और कुरीतियो को अस्वीकार किया। दोनों धर्मो और ने एक दूसरे के धर्म की इज्जत की और असामानताओ को स्वीकार कर सम्मान किया।

    गुरू ग्रंथ साहिब सिख धर्म की पवित्र किताब माननी जाती है अन्य कई धर्मो के संतो ने भी इसमे सहयोग दिया था। सभी लोग एक दूसरे के करीब आए और मतभेदो को खत्म किया।

    भक्ति आंदोलन का क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देना

    संस्कृति, अरबी और अन्य कठिन भाषाओ की निष्काशित किया गया और धर्म गुरूओ ने क्षेत्रीय भाषा मे प्रवचन देना शुरू किया। क्षेत्रीय भाषा को इसलिए चुना गया जिससे सभी को प्रवचन समझ आ सके और यह आसाना से भी समझी जा सकती है।

    उदाहरण के तौर पर कबीर की भाषा मे रोज़मर्रा की भाषा मौजूद थी। गोस्वामी की भाषा मे अवधी का प्रयोग था वही ब्रिज भाषा का प्रयोग सूरदास द्वारा किया जाता था।

    भक्ति आंदोलन का राजनीति प्रभाव व नैतिक प्रभाव

    कई राजाओ ने खुले दिमाग से धर्मकि स्वतंत्रता प्रदान की और भक्ति आंदोलन का भी समर्थन दिया। लोगो की दिनचर्या मे भक्ति आंदोलन का प्रभाव हुआ और वह अपने धर्म के प्रति सचेत हुए।

    लोगो ने काम करना शुरू किया और ईमानदारी से पैसे कमाने शुरू किया। इसके कारण समाज ने गरीबो और बेसहाराओ की मद्द करना शुरू किया। समाज मे इंसानियत रवैया को बढ़ावा दिया। समाज मे पनप रही कुरीतियो और बुरे कर्मा के अंत की शुरूआत हुई।

    इस आंदोलन के कारण लोगो मे भाईचारा पैदा हुआ और सभी ने एक दूसरे के धर्म को अपनाया। इस आंदोलन के चलते कई नए धर्म भी आए जैसे सिख धर्म।

    8 thoughts on “भक्ति आंदोलन के उदय के कारण, अर्थ, विशेषता, प्रभाव”
    1. भक्ति आंदोलन का उदय कैसे हुआ था? क्या क्या कारण रहे थे?

    2. 1. भगवान एक है और हर जगह इसके नाम अनेक है
      2. भक्ति, प्रेम और साधना के द्वारा ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है
      3.भगवान के असली नाम का जाप करना
      4. अपने आप को भगवान के हवाले करना
      5. हवन, समारोह, अंधविश्वास और रीति रिवाजो की निंदा करना
      6. कई संतो द्वारा मूर्ति पूजन को त्यागना
      7.धर्म से सबंधित बातो को खुले दिमाग से सुलझाना
      8. जतिवाद का खत्म करना
      9. मोक्ष की प्राप्ति के लिए गुरू का होना
      10.धर्म के उपदेशो को क्षेत्रीय भाषा मे सीख कर उनका प्रचार करना

    3. Bhakti andolan ka main reason kya tha ?wese to bodh darm ke patan ke baad brahmano dvara bhakti andolan chalaya gya tha yeh bhi books me diya hai.

    4. भगवान का असली नाम क्या है?

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