संजय लीला भंसाली के बजाए अगर हम संजय विवादित लीला भंसाली कहे तो शायद गलत नहीं होगा क्यूंकि उनका और विवादों का रिश्ता बहुत ही गहरा है। उनकी ऐसी शायद कोई ही फिल्म होगी जिसके साथ विवाद ना जुड़ा हो, चाहे वह रामलीला हो जिसका विरोध पूरे गुजरात में हुआ था, या फिर मराठा इतिहास को दर्शाती बाजीराव मस्तानी जिसका विरोध पूरे मराठा समुदाय ने किया था। और फिर से भंसाली अपनी विवादों की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए एक और फिल्म लेकर आ रहे है जो राजपूताना और मुग़ल इतिहास को बताती है।
दरअसल, हम बात कर रहे है मुग़ल शासक और चित्तौड़गढ की रानी पद्मावती के ऊपर संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की। यह फिल्म रिलीज़ भी नहीं हुई है कि विवादों का सिलसिला अभी से शुरू हो गया है, आपको बता दें चित्तौड़गढ में फिल्म का जमकर विरोध किया जा रहा है, गुजरात में एक नेता द्वारा फिल्म की रिलीज़ को आगे बढ़ाये जाने को लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी जा चुकी है। फिल्म का अभी से इतने बड़े स्तर पर विरोध देख भंसाली ने फिल्म की सुरक्षा हेतु फिल्म का 160 करोड़ का बीमा करा लिया है। इस बीमा के नियमों के तहत यदि पद्मावती की रिलीज के बाद टिकट बिक्री के समय कोई विरोध होता है, या फिर विवाद, तोड़फोड़ और हड़ताल होती है तो नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी।
करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह ने कहा है कि ‘पद्मावती के रूप में दीपिका पादुकोण को नाच-गान करते हुए दिखाने से राजपूत समाज क्रोधित है, पद्मिनी को अलाउद्दीन की प्रेमिका के रूप में दिखाया जा रहा है, परन्तु चित्तौड़गढ के इतिहास को लेकर लिखी गई किताबों और किवदंतियों में इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है”।
इस फिल्म का विरोध करते हुए बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी ट्विटर पर ट्वीट किया है कि “अलाउद्दीन खिलजी एक व्यभिचारी हमलावर था. उसकी बुरी नजर पद्मावती पर थी”।
अंग्रेजी में एक कहावत है जिसका अर्थ यही है कि अगर “बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा” फिल्म का इतने बड़े स्तर पर प्रसार होना फिल्म को कहीं ना कहीं फायदा तो जरूर पहुंचाएगा। खैर यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा कि पद्मावती इतिहास बनाती है या सिर्फ इतिहास बनती है।