पिछले कई दिनों से रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है, और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। एक ओर जहाँ इससे आम जनता की जेब पर भारी असर पड़ रहा है, वहीँ राज्य सरकारें इससे बड़ा मुनाफा कमा रही हैं।
बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक दोनों कारणों की वजह से राज्य सरकारों के टैक्स भण्डार में 22,700 करोड़ रुपए की वृद्धि होगी।
एसबीआई की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि प्रति बैरल जब भी कच्चे तेल की कीमत 1 डॉलर बढ़ती है, तो देश के 19 बड़े राज्यों को 1513 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स मिलता है।
इनमे देश में सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को होता है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र प्रति लीटर पेट्रोल पर देश में सबसे ज्यादा वैट वसूलता है, जो कि प्रति लीटर 39.12 रुपए है। वहीँ गोवा पुरे देश में सबसे कम वैट लेता है।
रिपोर्ट में आगे यह कहा गया है कि इन बढ़ती कीमतों की वजह से जिस प्रकार राज्य सरकारों का भंडार भर रहा है, उनका कुल कर्जा 15-20 अंक तक कम हो सकता है।
इसके अलावा इस रिपोर्ट में ऐसे सुझाव भी दिए गए हैं, जिनकी मदद से प्रति लीटर पेट्रोल में 3.20 रुपए और प्रति लीटर डीजल में 2.30 रुपए तक की कटौती की जा सकती है।
एसबीआई की इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य निम्न प्रकार से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती कर सकते हैं:
नीचे दी गयी सूचि में आप देख सकते हैं, कि विभिन्न राज्य पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स और वैट वसूलते हैं:
इससे जाहिर है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य अधिक टैक्स वसूलते हैं।
इन राज्यों में से राजस्थान और आंध्र प्रदेश नें पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट को कम करने की घोषणा कर दी है।